गुरुग्राम

गे डेटिंग ऐप से 150 को फंसाया, लूटा, पीटा और न्यूड तस्वीरें खींचकर किया ब्लैकमेल

Arun Mishra
13 Feb 2020 8:07 AM GMT
गे डेटिंग ऐप से 150 को फंसाया, लूटा, पीटा और न्यूड तस्वीरें खींचकर किया ब्लैकमेल
x
पुलिस के मुताबिक ज्यादातर मामलों में पीड़ितों को गुरुग्राम और नोएडा के सुनसान इलाकों में 'फ़ेक डेट' के लिए बुलाया गया. झांसे में लेकर उनसे लूट-पाट की गई, पीटा गया और बिना कपड़ों में उनके फोटो खींचे गए, वीडियो बनाए गए.

वैलेंटाइन्स वीक में डेटिंग ऐप की बात न की जाए ऐसा तो हो नहीं सकता, लेकिन आज हम यहां बात करेंगे कि कैसे इसने कुछ लोगों की जिंदगी में जहर घोल दिया. दिल्ली से ये हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है कि कई लोग गे डेटिंग ऐप ग्रिंडर (Grindr) का इस्तेमाल करके फंस गए.

हनीट्रैप में फंसकर ब्लैकमेलिंग का शिकार होने वाले इन लोगों में नोएडा, गुरुग्राम, दिल्ली, गाजियाबाद के कॉरपोरेट और धनी लोग शामिल हैं. तकरीबन 150 पीड़ितों ने अपने साथ हुई घटना का जिक्र किया है, इनमें बिजनेसमैन, कॉरपोरेट सीईओ से लेकर कई बड़े लोगों के नाम सामने आए हैं.

गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर मुहम्मद अकील ने बताया 'दिल्ली एनसीआर में बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले 50 से अधिक लोगों के बारे में पता चला है कि वे लूट, ठगी और ब्लैकमेलिंग का शिकार हुए.' उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकांश लोगों ने सामाजिक लोक-लाज के डर से आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया, यहां तक कि वे पुलिस के सामने बयान देने से भी बचते दिखाई दिए.

पुलिस के मुताबिक ज्यादातर मामलों में पीड़ितों को गुरुग्राम और नोएडा के सुनसान इलाकों में 'फ़ेक डेट' के लिए बुलाया गया. झांसे में लेकर उनसे लूट-पाट की गई, पीटा गया और बिना कपड़ों में उनके फोटो खींचे गए, वीडियो बनाए गए. उन तस्वीरों के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करके लंबे समय तक उगाही की गई.

मुहम्मद अकील आगे बताते हैं 'ये गैंग लोगों को झांसे में लेने के लिए करीब एक महीने का समय लेते थे. पीड़ित को भरोसा दिलाते थे कि उनकी पहचान सुरक्षित है. भरोसा जीतने के बाद मीटिंग तय करते थे.' उन्होंने बताया कि लॉ इन्फोर्समेंट लगातार ग्रिंडर के संपर्क में है ताकि गैंग से संबंधित और जानकारी निकाली जा सके.

ऐसे देते थे वारदात को अंजाम

पिछले साल नवंबर में एक अफसर ने खुद ऐप यूजर बनकर गैंग के चार लोगों को दबोचा था जिसके बाद इस खतरनाक गिरोह के बारे में पता चला. गुरुग्राम के 38 वर्षीय पीड़ित बिजनेसमैन ने नाम न छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया:

"मैंने अक्टूबर में हुई घटना से कुछ हफ्ते पहले ही ऐप डाउनलोड किया था. इस शख्स से मेरी ऑनलाइन जान पहचान हुई और हमने 11 दिन तक बात की. उसने मिलने की इच्छा जाहिर की तो मैं मान गया. मैंने सलाह दी कि हम किसी रेस्टोरेंट में साथ बैठकर ड्रिंक्स लेते हैं और खाना खाते हैं, लेकिन उसने कहा कि हम लॉन्ग ड्राइव पर चलेंगे."

पीड़ित ने आगे बताया "लगभग 45 मिनट ड्राइव करने के बाद उसने इंटीमेट होने की कोशिश की, तभी एक कार ने आगे आकर हमें रोका और जबरदस्ती कार का दरवाजा खोल दिया. उसमें आए लोगों ने मुझे मारा और लूटकर भाग गए. जो शख्स मेरा दोस्त बनकर आया था उसने लुटेरों का साथ दिया और सभी फरार हो गए."

पीड़ित ने बताया कि इस घटना के बाद उसके पास फोन आने लगे और उससे 2 लाख रुपयों की मांग की गई. मोबाइल नंबर बदलने के बाद पीड़ित ने दोस्त की सलाह पर पुलिस के पास शिकायत लिखवाई. नवंबर में गिरफ्तार किए गए गैंग के चार लोगों ने खुलासा किया कि यही काम उन्होंने लगभग 150 लोगों के साथ तीन महीने के अंदर किया है. पुलिस ने उनमें से 80 लोगों का पता लगा लिया है और आगे की जांच जारी है.

Tags
Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

Next Story