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मोनू की गिरफ्तारी से सरकार ने एक तीर से साध लिए गए कई निशान, अब MLA के अरेस्ट में होगी आसानी, पढिए सनसनी खेज रिपोर्ट
मोहित यादव से मोनू मानेसर बने युवक की गिरफ्तारी से हरियाणा सरकार ने एक ही तीर से कई निशाने साध लिए हैं। मामूली धाराओं में एक केस दर्ज करने के बाद मोनू की गिरफ्तारी से हरियाणा की भाजपा सरकार ने जहां कानून सबके लिए बराबर का संदेश दे दिया, वहीं सरकार से नाराज चल रहे किसानों और जाटों को भी साधने का काम कर दिया। किसान और जाट नूंह हिंसा के बाद से ही लगातार मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे।
मामूली धाराओं में केस दर्ज कर दे दी राजस्थान पुलिस को सूचना
मंगलवार को नूंह पुलिस ने मोनू मानेसर को एक नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार कर लिया। आरोप था कि 28 अगस्त को नूंह में दोबारा जलाभिषेक यात्रा से दो दिन पहले मोनू ने एक भड़काऊ पोस्ट अपने फेसबुक पेज पर डाली थी।
नूंह पुलिस ने मामूली धाराओं में दर्ज इस केस में मोनू को गिरफ्तार किया। जो धाराएं मोनू पर लगाई गईं हैं उनमें अधिकतम सजा मात्र तीन साल और जुर्माने की हैं। पुलिस को मालूम था कि मोनू को तत्काल ही जमानत मिल जाएगी, ऐसे में इसकी सूचना राजस्थान पुलिस को दे दी। यही कारण रहा कि दोपहर 12 बजे गिरफ्तार किए गए मोनू को चंद ही घंटों बाद पुलिस ने कोर्ट में पेश कर दिया। जहां से राजस्थान पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर आरोपी को अपने साथ ले गई।
चुनावों में भुनाया जा सकता है नूंह हिंसा का मामला
अगर विधायक मामन खां की गिरफ्तारी होती है तो नूंह हिंसा का पूरा आरोप कांग्रेस की झोली में जा सकता है। पहले ही दिन से भाजपा इस हिंसा को कांग्रेस की साजिश बताती आ रही है। प्रदेश की भाजपा सरकार इस मुद्दे को आने वाले चुनावों में पूरी तरह से भुनाने का काम करेगी। राजस्थान में दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जबकि हरियाणा में अगले साले चुनाव होंगे। मेवात का इलाका जितना हरियाणा में है, करीब उतना ही राजस्थान की सीमा में भी है।
राजस्थान सरकार को झेलना पड़ रहा विरोध
राजस्थान पुलिस को उम्मीद थी कि मोनू को राजस्थान लाकर वाह-वाही लूटी जा सकती है, मगर स्थिति इसके विपरीत हुई। लोगों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए। सबसे पहला सवाल नासिर-जुनैद के परिजनों ने ही उठाया।
नासिर और जुनैद की पत्नियों परमीना और साजिदा का कहना था कि राजस्थान सरकार और पुलिस मोनू को गिरफ्तार ही नहीं करना चाहती थी। यही कारण था कि पूर्व में पुलिस दोहरे हत्याकांड में उसकी भूमिका से भी इन्कार करती रही। अब हरियाणा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है तो राजस्थान पुलिस इसका श्रेय लेना चाहती है।
केंद्रीय मंत्री नहीं चाहते दूसरे यादव का वर्चस्व
मोनू मानेसर की सक्रियता और लगातार बढ़ता वर्चस्व एक केंद्रीय राज्यमंत्री को नागवार गुजर रहा था। सूत्र बताते हैं कि यह केंद्रीय मंत्री दक्षिण हरियाणा में किसी यादव का वर्चस्व नहीं चाहते। नूंह हिंसा के बाद इन राज्यमंत्री ने बयान भी दिया था कि जलाभिषेक यात्रा में हथियार लेकर आने वालों की मंशा क्या थी, इसकी भी जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही पार्टी के कुछ बडे़ नेता भी मोनू के नाम पर हो रहे विवाद का जल्द हल चाहते थे। प्रदेश सरकार ने इस गिरफ्तारी से अपने वरिष्ठाें की भी इच्छापूर्ति का काम किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मामला उछला तो हुई गिरफ्तारी
नूंह हिंसा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बयानबाजी हुई तो केंद्र सरकार भी हरकत में आई। सोमवार को ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार वोल्कर तुर्क ने जेनेवा में मानवाधिकार परिषद के 54वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत में उनके कार्यालय को अक्सर जानकारी मिलती रहती है कि वहां हाशिए पर रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय हिंसा और भेदभाव के शिकार होते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया था कि हाल ही में उत्तर भारत में हरियाणा और गुरुग्राम में ऐसा हुआ। तुर्क के इस बयान के अगले ही दिन मोनू मानेसर को नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार कर लिया गया।
विधायक मामन खां की हो सकती है गिरफ्तारी
मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी का नाम नूंह हिंसा में सबसे ज्यादा उछला था। दोनों पर ही सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने और हिंसा कराने का आरोप लगाया गया था। इसके साथ ही फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खां पर भी सोशल मीडिया पर भड़काऊ भाषण देने की बात लोगों ने कही थी।
बजरंग दल से जुड़े मोनू और बिट्टू को हल्की धाराओं में केस दर्ज कर हरियाणा सरकार ने गिरफ्तार करके यह संदेश दिया है कि कानून सभी के लिए बराबर है। सरकार ने यह भी संकेत दे दिया कि इसी प्रकार के आरोप में विधायक मामन खां को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। मामन को सीआईए दो बार पूछताछ के लिए नोटिस भी दे चुकी है, हालांकि मामन कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं।