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हरियाणा में इस फैक्टर से जीती बीजेपी, अगर यही रहा हाल तो बीजेपी की फिर बन सकती है सरकार
हरियाणा में जिस जींद विधानसभा में हुए उपचुनाव के दौरान बीजेपी को मिली बड़ी जीत ने उनके टूटे हुए मनोबल को बूस्टर दे दिया है. तीन राज्यों में मिली हार के बाद नगर निगम चुनाव में मिली बड़ी सफलता से उत्साहित बीजेपी को अब दूसरा बूस्टर मिला है. सीएम मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ बन रहे माहौल को बीजेपी ने अब सकरात्मक कर लिया है. इस जीत से उत्साहित बीजेपी विधानसभा का चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ करा सकती है.
हरियाणा में जिस तरह से जाट बनाम अन्य का मुद्दा इस बार पूरी तरह से हावी हुआ है. बीते कई दशकों से प्रदेश की राजनीत जाट वोट बेंक के आसपास मडरा रही थी. जिसको बीजेपी ने नकारते हुए पहली बार पंजाबी समुदाय का मुख्यमत्री प्रदेश को दिया हालांकि इसका पार्टी के भीतर भी विरोध हुआ और कई सांसद और विधायक नाराज भी हुई तो एक दो ने अपनी नई पार्टी भी बना ली. लेकिन जींद में हुए उपचुनाव के दौरान जाट वोट जहां कई उम्मीदवारों में बंट गया तो जाट बनाम अन्य वोट भारी तादात में बीजेपी के पास चला गया जिससे उसकी जीत आसान हो गई.
प्रदेश में जाट वोट के अलावा भी कई जातियां और बसती जिनकी संख्या बहुतायत में है लेकिन राजनीत की धुरी केवल जाट बने हुए है. पहली बार जाट समुदाय से अलग प्रदेश को मुख्यमंत्री मिला है जिसे अन्य जातियां मिलकर पूरी तरह समर्थन करती नजर आ रही है. फ़िलहाल हुए दो चुनाव में बीजेपी को मिली आशातीत सफलता के बाद यह कहना कोई अतिश्योक्ति नही होगी की बीजेपी हरियाणा में फिर से सरकार बना सकती है.
जिस तरह उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग के लोंगों में सिर्फ यादव की राजनीत चली जिससे सपा अंतिम पायदान पर पहुंच गई ठीक उसी तरह मायावती से दलित वोट छिटकने का भी यही कारण रहा कि दलित जातियों में सिर्फ और सिर्फ जाटव समुदाय की बात सुनी गई उसके कारण बसपा भी नेपथ्य में चली गई. तीसरा कारण यह भी है कि बसपा में टिकिट बेचने का भी खेल होता है जिससे अब जागरूक दलित वोट देने से दूरी बना रहा है और उसके चलते भी बीजेपी का फायदा हो रहा है.
तीसरी बात हरियाणा में एक नया विकल्प आम आदमी पार्टी और दुष्यंत चौटाला की पार्टी भी बनकर उभरेगी जिसको चुनाव में नंबर दो पर स्थान मिला है. जबकि कांग्रेस के इतने बड़े चेहरे को तीसरे स्थान पर खिसकना भी एक सवाल बना हुआ है. इसमें एक बात यह भी सामने आ रही है सुरजेवाला के प्रतिद्वंदी भूपेन्द्रसिंह हुड्डा ने उनको किनारे लगाने का तो काम नहीं किया है. फिलहाल कोई कुछ कहे बीजेपी को हरियाणा में एक बूस्टर ओर मिल गया है.