एक, दो नहीं 35 बार असफल होने के बाद भी डटे रहे आईपीएस विजय वर्धन और लिख दी सफलता की नई कहानी
यूपीएससी परीक्षा की कठिनाई का स्तर जानते हुये यह लगभग सामान्य माना जाता है कि कैंडिडेट कई प्रयासों के बाद परीक्षा पास कर पाते हैं. लेकिन जरा कल्पना कीजिये उस इंसान की जो यूपीएससी तो छोड़िये विभिन्न सरकारी नौकरियों में एक बार दो बार नहीं पूरे 30 बार असफल होने के बाद यूपीएससी की परीक्षा देने की सोचें. जरा कल्पना कीजिये उस व्यक्ति के हौसले की जो इतनी बार असफल होने के बावजूद देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा को देने की योजना बनाता है. और यह योजनाएं ख्याली पुलाव न होते हुए हकीकत की जमीन पर बनती हैं और सच भी होती हैं. आज आपका परिचय कराते हैं ऐसे ही एक व्यक्ति से जिसके पहाड़ जैसे हौसले के सामने हर कठिनाई ने घुटने टेक दिये. पूरे 35 बार असफल होने के बाद विजय ने वो पाया जिसके लिये वे बार-बार गिरकर खड़े हुये.
हरियाणा के हैं विजय वर्धन
जिस शख्स की आज हम चर्चा कर रहे हैं वे हरियाणा के सिरसा जिले के रहने वाले विजय वर्धन हैं. विजय की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा यहीं हुई. इसके बाद हायर स्टडीज़ के लिये विजय हिसार चले गए. यहां से उन्होंने साल 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. विजय ने इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की और सिविल सर्विसेस में जाने का मन बनाया. इसके लिये सही मार्गदर्शन पाने के लिये उन्होंने दिल्ली का रुख किया जहां से उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिये कोचिंग ली.
ऑप्शन के रूप में दी अन्य परीक्षाएं
सभी तो नहीं पर यूपीएससी की परीक्षा देने वाले ज्यादातर कैंडिडेट्स का मत होता है कि नौकरी का दूसरा विकल्प भी तैयार रखें. चूंकि इस परीक्षा में सफल होना अत्यंत कठिन माना जाता है तो वे दूसरे विकल्पों पर भी नजर रखते हैं. विजय ने भी यूपीएससी के अलावा ऐ और बी ग्रेड लेवल की 30 अलग - अलग सरकारी नौकरियों के लिये आवेदन किया. जैसे हरियाणा पीसीएस, यूपी पीसीएस, एसएससी सीजीएल आदि. विडंबना देखिये की हर तरफ उन्हें मुंह की खानी पड़ी और कहीं भी उनका चयन नहीं हुआ. विजय इससे विचलित तो हुये पर हताश नहीं.
यहां से हुई सिविल सर्विसेस की शुरुआत
विजय का मुख्य ध्यान यूपीएससी परीक्षा पर था इसी क्रम में उन्होंने वर्ष 2014 से यूपीएससी की परीक्षा देना आरंभ कर दिया. 2014 और 2015 में विजय केवल प्री परीक्षा पास कर पाए और मुख्य परीक्षा में असफल रहे. तीसरी बार विजय ने अपनी तैयारियों का रुख बदला और फाइनल भी पास कर गए लेकिन केवल 06 अंक से मुख्य सूची में आने से रह गए. बार-बार असफल होने के बावजूद विजय के इरादे नहीं डगमगाए और 2017 में उन्होंने फिर परीक्षा दी और अबकी बार साक्षात्कार तक पहुंचे लेकिन सफलता अभी भी उनसे दूर थी. बार-बार असफल होने के बाद भी विजय का निश्चय और उससे बढ़कर उनका धैर्य काबिले तारीफ था.
पांचवे अटेम्पट के लिये सबने किया मना
इतनी बार नाउम्मीद होने के बाद विजय तो नहीं पर उनके आसपास वाले जरूर हिम्मत हार चुके थे. सभी ने विजय को पांचवा अटेम्पट करने से मना किया पर विजय कहां किसी के रोके रुकने वाले थे. उनको अपनी तैयारियों पर पूरा भरोसा था और विश्वास था अपनी जीत का. विजय ने फिर से परीक्षा दी और अबकी बार 104 रैंक के साथ इसे पास भी कर लिया. अंततः 2018 में विजय को अपनी मंजिल मिली और वे आईपीएस बनने के अपने सपने को साकार कर पाये. विजय उन कैंडिडेट्स के लिये बड़ा उदाहरण पेश करते हैं तो कई अटेम्पट करने के बाद हार मान कर बैठ जाते हैं. विजय यह प्रेरणा देते हैं कि अगर इरादें अटल हों तो बार-बार की हार भी हौसले को कमजोर नहीं कर पाती. अगर मन में कुछ पाने की ठान ली तो ठान ली बिल्कुल उस चींटी की तरह जो दाना लेकर दीवार पर चढ़ते समय न जाने कितनी बार गिरती है, फिर उठती है, फिर चलती है पर रुकती नहीं जब तक मंजिल तक पहुंच न जाये.