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बाबा रामदेव की दवा को लगा आयुष मंत्रालय से बड़ा झटका, सपने हुए चकनाचूर
योगगुरू बाबा रामदेव ने आज मंगलवार को कोरोना की आयुर्वेदिक दवा 'कोरोनिल' लॉन्च की। योग गुरु ने बताया कि अगले सोमवार को हम OrderMe नाम से एक ऐप लॉन्च कर रहे हैं। इस ऐप के जरिए आप घर बैठे कोरोना की दवा मंगा सकेंगे। उन्होंने कहा कि आज ऐलोपैथिक सिस्टम मेडिसन को लीड कर रहा है, हमने कोरोनिल बनाई है जिसमें हमने क्लीनिकल कंट्रोल स्टडी की। बाबा रामदेव के मुताबिक, कोरोनिल में गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण है।
पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (निम्स) यूनिवर्सिटी, जयपुर ने मिलकर दवा को तैयार किया है।
अभी अभी मिली जानकारी के मुताबिक आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा #COVID19 उपचार के लिए बनाई गई आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया. कंपनी को दवाओं का विवरण प्रदान करने और इस तरह के दावों को प्रचारित करने से रोकने के लिए कहा है. यह जानकारी आयुष मंत्रालय द्वारा दी गई है।
मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा #COVID19 उपचार के लिए बनाई गई आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया। कंपनी को दवाओं का विवरण प्रदान करने और इस तरह के दावों को प्रचारित करने से रोकने के लिए कहा है: आयुष मंत्रालय pic.twitter.com/4HzyHsOwbN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 23, 2020
रामदेव ने कहा, आज हम ये कहते हुए गौरव अनुभव कर रहे हैं कि कोरोना की पहली आयुर्वेदिक, क्लीनिकली कंट्रोलड, ट्रायल, एविडेंस और रिसर्च आधारित दवाई पतंजलि रिसर्च सेंटर और NIMS के संयुक्त प्रयास से तैयार हो गई है। इस दवाई पर हमने दो ट्रायल किए हैं। 100 लोगों पर क्लीनिकल स्टडी की गई उसमें 95 लोगों ने हिस्सा लिया। 3 दिन में 69% मरीज ठीक हो गए। 7 दिन में 100% मरीज ठीक हो गए।
उनके मुताबिक, यह दवा दिन में दो बार- सुबह और शाम को ली जा सकती है। योग गुरु बाबा रामदेव के मुताबिक, अश्वगंधा से कोविड-19 के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) को शरीर के ऐंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम (ACE) से नहीं मिलने देता। यानी कोरोना इंसानी शरीर की स्वस्थ्य कोशिकाओं में घुस नहीं पाता। वहीं गिलोय कोरोना संक्रमण को रोकता है। तुलसी कोविड-19 के RNA पर अटैक करती है और उसे मल्टीप्लाई होने से रोकती है।
गत 13 जून को पतंजलि योगपीठ के महामंत्री एवं पतंजलि आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया था कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान में पांच माह तक चले शोध और चूहों पर कई दौर के सफल परीक्षण के बाद कोविड-19 की आयुर्वेदिक दवा तैयार करने में सफलता मिली है। इसके लिए जरूरी क्लीनिकल केस स्टडी पूरी हो चुकी है, जबकि क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल अपने अंतिम दौर में है। इसका डेटा उपलब्ध होते ही फाइनल एनालिसिस कर दवा बाजार में उतार दी जाएगी।
क्या-क्या है दवा में शामिल
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार दवा के मुख्य घटक अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस व अणु तेल हैं। इनका मिश्रण और अनुपात शोध के अनुसार तय किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि यह दवा अपने प्रयोग, इलाज और प्रभाव के आधार पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख संस्थानों, जर्नल आदि से प्रामाणिक है। अमेरिका के बायोमेडिसिन फार्माकोथेरेपी इंटरनेशनल जर्नल में इस शोध का प्रकाशन भी हो चुका है।
ऐसे काम करती है दवा
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि अश्वगंधा कोविड-19 के आरबीडी को मानव शरीर के एसीई से मिलने नहीं देता। इससे कोविड-19 वायरस संक्रमित मानव शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता। गिलोय भी अश्वगंधा की तरह काम करता है। यह संक्रमण होने से रोकता है। तुलसी का कंपाउंड कोविड-19 के आरएनए-पॉलीमरीज पर अटैक कर उसके गुणांक में वृद्धि करने की दर को न सिर्फ रोक देता है, बल्कि इसका लगातार सेवन उसे खत्म भी कर देता है। श्वसारि रस गाढ़े बलगम को बनने से रोकता है और बने हुए बलगम को खत्म कर फेफड़ों की सूजन कम कर देता है। इसी तरह अणु तेल का इस्तेमाल नेजल ड्राप के तौर पर कर सकते हैं।
शोध में 300 शोधार्थी हुए शामिल
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि कोविड-19 की दवा 'दिव्य कोरोनील टैबलेट' की खोज दिसंबर 2019 में चीन में इसके संक्रमण के लगातार बढ़ने की खबरों के बाद शुरू की गई। पहले इसकी केस स्टडी की गई और जनवरी 2020 से इस वायरस के व्यवहार और प्रभाव आदि को लेकर इसकी दवा की खोज के लिए शोध आरंभ कर दिया गया। इस कार्य में पतंजलि योगपीठ अनुसंधान केंद्र के लगभग 300 शोधाíथयों ने हिस्सा लिया। बताया कि दवा को 'क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया' की अनुमति मिली हुई है। मंगलवार से यह बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। इसके साथ श्वसारि वटी टेबलेट भी होगी।