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नई दिल्ली। भोजन को लजीज बनाने में लहसुन का विशेष योगदान रहता है,लहसुन कच्चा हो पका हो इसके अनेक औषधिय गुण भी होते है। लहसुन को लेकर उस पर तमाम तरह के शोध किये गये। उस शोध में पाया गया कि कम से कम 150 तरह के रोगों या लक्षणों जैसे कैंसर से लेकर डायबिटीज और दिल के रोगों, रेडिएशन के साईड इफेक्ट्स आदि के नियंत्रण करने में उपयोगी प्रमाणित हुआ है।
आपको बतादें कि किसी को साइटिका की परेशानी हो तो वो एक कप तिल के तेल में 8 लहसुन की कलियां डालकर गर्म करें, और ठंडा होने पर कमर से लेकर जांघों तक इससे मालिश करें। इससे साइटिका में काफी लाभ मिलता है। आदिवासी और ग्रामीँणाचलों में इसे गैस और दिल के रोगों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। सूखे लहसुन की 15 कलियां 1/2 लीटर दूध और 4 लीटर पानी को एक साथ उबाल लें। इस पानी को इतनी देर उबालें कि पानी आधा रह जाए। इस पाक को जब गैस और दिल के रोग से ग्रसित रोगियों को दिया जाता है तो आराम मिल जाता है।
जिन लोगों को जोड़ों का दर्द या आमवात जैसी शिकायतें हो, लहसुन की कच्ची कलियां चबाना उनके लिए अत्यंत लाभदायक होता है। बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) होने की शिकायत हो तो लहसुन की कच्ची कलियों का 20-30 बूंद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं। यदि फोडे या घाव होता है तो सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को पीसकर उबाले और घावों पर लेप करने से घाव तुरंत ठीक होना शुरू हो जाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर मरीज को रोजाना सुबह लहसुन की कच्ची कली चबाना चाहिए,और नमक व लहसुन का सीधा सेवन खून साफ करता है। ब्लड में प्लेटलेट्स की कमी होने पर भी नमक और लहसुन का समान मात्रा में सेवन करना चाहिए।
लहसुन के एंटीबैक्टिरियल गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है, इसका सेवन बैक्टीरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है। कान में कीड़ा चला जाने पर डांग- गुजरात के आदिवासी सूरजमुखी के तेल में लहसुन की दो कलियां डालकर गर्म करते है और फ़िर इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालते है, इनका मानना है कि इससे कीट बाहर निकल आता है।