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सुनिए एक डॉक्टर की आपबीती, कोरोना संक्रमित होने के बाद मिलीं फोन पर धमकियां
नई दिल्ली: एक डॉक्टर जो कोरोना के संकट काल में फ्रंट लाइन पर डटा रहा, जिसने बेहद गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचे न जाने कितने मरीजों की जान बचाई. कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से उसे अब वो सब झेलना पड़ रहा है जिसकी शायद डॉक्टर उपेंद्र कौल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
इस तरह काम कर रहा सिस्टम
डॉ. उपेंद्र कौल देश के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट हैं और कोरोना के संकट काल में भी वो लगातार अपनी ड्यूटी करते रहे. इस दौरान अस्पताल में गंभीर हालत में मरीज पहुंच रहे थे और उनके लिए ये संभव नहीं था कि वो हर मरीज का इलाज करने से पहले उसका कोरोना टेस्ट करवाएं, क्योंकि मरीजों की जान बचाना ज्यादा अहम था इसीलिए डॉ. उपेंद्र कॉल उनके इलाज में जुटे रहे और इसी दौरान उनको वायरस का इंफेक्शन हो गया. जब उन्होंने कोरोना टेस्ट कराया तो उनका रिजल्ट पॉजिटिव आया. और फिर शुरू हुआ वो सिलसिला जिसकी शायद डॉक्टर उपेंद्र पॉल कॉल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. ये सिस्टम किस तरह से संकटकाल में काम कर रहा है इसकी आपबीती डॉक्टर्स ने साझा की जिसे सुनकर आप हैरान और परेशान हो जाएंगे.
जबरन भर्ती करवाने के लिए धमकियां
कोरोना टेस्ट का रिजल्ट आते ही डॉक्टर कौल ने सारे नियम फॉलो करना शुरू कर दिए और वो एक दूसरे घर में जाकर रहने लगे. टेस्ट का रिजल्ट आए 6 दिन बीत चुके थे लेकिन तभी एक फोन उनके पास आया और उस व्यक्ति ने उन्हें कहा कि क्या आप जानते हैं कि आपका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव है तो डॉक्टर कौल ने जवाब दिया कि जब मैंने 4500 रूपए खर्च करके टेस्ट करवाया है तो जरूर उसकी रिपोर्ट भी ली होगी और मैं डॉक्टर हूं, सारे नियम फॉलो कर रहा हूं और मैं एक दूसरे घर में आइसोलेट हूं.
लेकिन फोन पर मौजूद व्यक्ति लगातार उनसे बहस करता रहा और कहता रहा कि आपको अस्पताल में भर्ती होना होगा डॉक्टर कॉल ने इस व्यक्ति को समझाने की कोशिश की कि वह एसिम्प्टोमेटिक है और वह घर में ही आइसोलेटेड हैं. जिसके बाद उन्होंने अपने एरिया के कोरोना नोडल ऑफिसर से भी बात की लेकिन ये ऑफिसर भी लगातार उन्हें ये कहता रहा कि आप को अस्पताल में भर्ती होना होगा.
डॉ. उपेंद्र कौल ने जब यह पूछा कि उन्हें कौन से अस्पताल ले जाया जाएगा तो ऑफिसर ने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि उन्हें ये कहा कि अगर आप नहीं आएंगे तो हमें पुलिस भेजनी होगी.