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क्या आपको यह पता है कि मलेरिया एक नहीं बल्कि 5 तरह का होता है। आम तौर पर लोग मलेरिया के बारे में सिर्फ इतना ही जानते हैं कि मलेरिया बुखार मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है। आइए जानते हैं क्या है मलेरिया, इसके लक्षण और बचाव के उपाय क्या हैं।
मलेरिया बुखार मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है। जो फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। इस मादा मच्छर में एक खास प्रकार का जीवाणु पाया जाता है जिसे डॉक्टरी भाषा में प्लाज्मोडियम नाम से जाना जाता है।
एक नहीं 5 तरह का होता है मलेरिया-
मलेरिया फैलाने वाली इस फीमेल एनोफिलीज मच्छर में जीवाणु की 5 जातियां होती हैं।इस मच्छर के काटते ही व्यक्ति के शरीर में प्लाज्मोडियम नामक जीवाणु प्रवेश कर जाता है। जो रोगी के शरीर में पहुंचकर कई गुना वृद्धि करके लिवर और रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करके व्यक्ति को बीमार बना देती है।
मलेरिया के लक्षण-
-बुखार, पसीना आना
- शरीर में दर्द
-उल्टी आना
मलेरिया के प्रकार-
प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum)-
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति एकदम बेसुध हो जाता है।लगातार उल्टियां होने से इस बुखार में व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
सोडियम विवैक्स (P. Vivax)-
विवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय काटता है। ज्यादातर लोग इस तरह के मलेरिया बुखार से पीड़ित होते हैं । यह मच्छर बिनाइन टर्शियन मलेरिया पैदा करता है जो हर तीसरे दिन अर्थात 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाना शुरू करता है।
प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale)-
मलेरिया का यह रूप बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है।
प्लास्मोडियम मलेरिया (P. malariae)-
प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है। इस रोग में क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न होता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आ जाता है।इसके अलावा रोगी के यूरिन से प्रोटीन निकलने लगते हैं और शरीर में प्रोटीन की कमी होकर सूजन आ जाती है।
प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi)-
दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इस मलेरिया से पीड़ित रोगी में सिर दर्द, भूख ना लगना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
इस रोग से बचने के लिए घर के आस-पास गंदगी और पानी इकठ्ठा न होने दें। ठहरे हुए पानी में मच्छर पैदा न हो इसके लिए बारिश शुरू होने से पहले ही घर के पास की नालियों की सफाई और सड़कों के गड्ढे आदि भरवा लें । घर के आस-पास समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें। इस मौसम में मच्छरों से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनें।