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तो आप क्या सोच रहे थे कि दो डोज ले ली तो कोरोना खत्म?
अमेरिका में की गयी स्टडी पर कई मित्र सोशल मीडिया पर आश्चर्य प्रकट कर रहे हैं कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद कोविड-19 एंटीबॉडी छह महीने बाद ही 80 प्रतिशत से अधिक कम हो जाती है।
तो आप क्या सोच रहे थे कि दो डोज ले ली तो कोरोना खत्म ? दरअसल हम लोगो के लिए यह आश्चर्य की बात इसलिए है क्योंकि हम वैक्सीन के बारे में यही जानते हैं जो हमारे बाप दादा को पता था कि एक बार वेक्सीन लगा ली तो जीवन भर की छुट्टी !......जैसे चेचक की वेक्सीन, पोलियो की वेक्सीन या BCG के टीके, एक बार लग गए तो जीवन भर वह रोग नही होगा और हुआ तो बहुत हल्का सा असर होगा......
यह 21 शताब्दी है जब पूँजी विज्ञान पर इतनी हावी हो चुकी है कि जैसा पूँजी नचाती है वैसा ही विज्ञान नाचता है !.....
अब 21 शताब्दी में पोलियो वेक्सीन आविष्कर्ता जोनास साल्क जैसे लोग नही मिलेंगे !..... एक बार जोनास साल्क से पत्रकार ने पूछा कि इस पोलियो वैक्सीन का पेटेंट किसके पास है ? साल्क ने इस सवाल के जवाब में कहा........."मैं तो यही कहूंगा कि इसका पेटेंट लोगों के पास है। इस वैक्सीन का कोई पेटेंट नहीं है। क्या आप सूरज को पेटेंट करा सकते हैं?
अब कुछ बड़ी फार्मा कम्पनियो ने विज्ञान को अपनी बांदी बना लिया है वो चाहते हैं वही होता है उनके पास कोरोना वेक्सीन के पेटेंट राइट है वो ही अगला बूस्टर डोज बना पाएंगे कोई जेनेरिक वेक्सीन डोज नही बनने वाली
पश्चिम जगत में लोग इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझ गए हैं इसलिए वहाँ पर इन बातों का भयंकर विरोध हो रहा है लेकिन यहाँ भारत मे लोग वेक्सीन की उसी लेगेसी में विश्वास करते हैं जो चेचक ओर पोलियो वेक्सीन से बनी है
अगर अपनी स्टडी में फार्मा कम्पनिया यह नही बताएगी कि उनकी वेक्सीन के डोज का असर 6 महीने में।खत्म हो रहा है तो कोई पागल है जो अगला उस कम्पनी का बूस्टर डोज लगवाएगा !....
यह सब शुरू से तय है कोरोना वायरस के बारे में शुरू से यह मालूम था कि यह तेजी से म्युटेट होता है, तब भी इसकी वेक्सीन बनाई गई ......वायरस का विकास होना और बदलना कोरोना वायरस सहित अन्य वायरस के आरएनए की सामान्य प्रवृत्ति है। वायरस का म्यूटेट होना कोई नई बात नहीं है, फ्लू कोल्ड सहित अन्य वायरस भी समय समय पर म्यूटेट होते रहते हैं। इसलिए विशेषज्ञों द्वारा वायरस के नए वेरियंट से बचने के लिए हर साल फ्लू शॉट लेने की सलाह दी जाती है।
दुनिया में अब जो कोरोना वैक्सीन दी जा रही हैं, उनके दो डोज कुछ समय के अंतराल पर मिल रहे हैं. ये दोनों डोज अब मिलकर प्राइम डोज कहलाएंगे. इसके बाद अगर जो डोज छह महीने सालभर या उससे भी ज्यादा समय के बाद लगवाने को कहा जाए तो उसे बूस्टर कहा जाएगा.
अब आपको जैसे अमेरिका में इन्फ्लूएंजा के फ्लू शॉट दिए जाते हैं उसी प्रकार से हर साल कोरोना वेक्सीन के अपग्रेड शॉट लेने ही होंगे,
हम जैसे लोग शुरू से यही चेता रहे हैं कि जैसे कम्प्यूटर में हर साल नया एंटीवायरस डलवाना होता है वैसे ही हर साल आपको जिंदा रहने के लिए अपने आपको बूस्टर डोज लेकर रिचार्ज कराना होगा, नही तो आपकी भी वैलिडिटी खत्म हो जाएगी....इस बात में कोई कांस्पिरेसी न खोजे !...यही सच है !....इस हकीकत को जितना जल्दी मान ले उतना अच्छा है