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सबसे ज्यादा कोरोना केस वाले राज्यों में कम हुई टेस्टिंग,भारत के पांच राज्य कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित
भारत में अब अमेरिका, ब्राजील और रूस के बाद कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं. वैश्विक स्तर पर भारत चौथा देश है, जहां पर कोरोना वायरस के मामले सबसे ज्यादा हैं. लेकिन भारत में जिन पांच राज्यों में कोरोना के सबसे ज्यादा केस हैं, उनमें से चार की जांच में गिरावट दर्ज की गई है.
भारत के पांच राज्य कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जिनमें महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. भारत में कुल एक्टिव केस का दो तिहाई इन्हीं पांच राज्यों में हैं. यह संख्या मौतों और ठीक हो चुके मरीजों की संख्या के अलावा है. पूरे भारत में कुल एक्टिव केस एक लाख 33 हजार 632 हैं और इनमें से एक तिहाई अकेले महाराष्ट्र में हैं.
इन सभी पांच राज्यों में टेस्ट पॉजिटिव रेट (टीपीआर) में वृद्धि दर्ज की गई है. टीपीआर का मतलब है कि जितने लोगों की जांच की गई, उनमें से कितने केस पॉजिटिव निकले. पांचों राज्यों में अब टीपीआर पहले से ज्यादा है, लेकिन तमिलनाडु को छोड़कर बाकी चार राज्यों में टेस्टिंग में कमी दर्ज की गई है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का टीपीआर भारत में सबसे अधिक है. यहां तक कि महाराष्ट्र से भी ज्यादा, जो कि कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य है. दिल्ली में हर चार क्लीनिकल टेस्ट में से एक केस पॉजिटिव दर्ज हो रहा है, जबकि महाराष्ट्र में हर पांच टेस्ट में से एक पॉजिटिव निकल रहा है.
इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने राज्य सरकार के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया कि दिल्ली में 9 जून को टीपीआर 25 हो गया, जो कि इसके एक सप्ताह पहले 15 फीसदी था.
लेकिन दिल्ली में टेस्टिंग के सात दिनों के रोलिंग एवरेज के आंकड़ों में गिरावट दर्ज हुई है- 3 जून को यह संख्या 6 हजार 543 थी, जो कि 9 जून को 5 हजार 353 हो गई. इसी अवधि में दिल्ली में कुल केस की संख्या 22 हजार 132 से बढ़कर 29 हजार 943 तक पहुंच गई. यह 41 फीसदी का उछाल है.
महाराष्ट्र के टीपीआर में पिछले एक सप्ताह में केवल एक अंक बढ़ोत्तरी हुई है. यह 19 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो गया. लेकिन सात दिनों के मूविंग एवरेज से पता चलता है कि डेली टेस्टिंग में 7 फीसदी की कमी आई है. 29 मई को 14 हजार 397 से गिरकर यह संख्या 9 जून को 13 हजार 421 पर आ गई.
राष्ट्रीय स्तर पर टीपीआर पिछले सप्ताह 7 फीसदी के आसपास रहा है. एक्टिव केस के लिहाज से देखें तो तमिलनाडु तीसरा सबसे प्रभावित राज्य है. पिछले सप्ताह यहां हर 10 कोरोना वायरस टेस्ट में से एक केस पॉजिटिव आया है. हालांकि, सात दिनों के मूविंग एवरेज से पता चलता है कि एक सप्ताह में राज्य में टेस्टिंग 25 फीसदी बढ़ी है.
चौथे और पांचवें सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य गुजरात और पश्चिम बंगाल हैं. यहां पर टीपीआर क्रमशः 8 फीसदी और 4 फीसदी है. इन राज्यों में भी टेस्टिंग में मामूली गिरावट दर्ज की गई है. 10 जून तक भारत ने 50 लाख 61 हजार 332 टेस्ट किए और कुल 2 लाख 76 हजार 583 कोरोना मामलों की पुष्टि हुई. इनमें से एक लाख 33 हजार 632 एक्टिव मामले हैं, जबकि एक लाख 35 हजार 206 ठीक हो चुके हैं और 7 हजार 745 मौतें हुई हैं.
बुधवार को तमिलनाडु में 24 घंटों में सबसे अधिक 866 एक्टिव मामले समाने आए. इसी दौरान दिल्ली में 831, महाराष्ट्र में 476, हरियाणा में 349 और बंगाल में 207 मामले दर्ज हुए.
पिछले हफ्ते दिल्ली सरकार ने टेस्टिंग को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए, जिसके अनुसार सिर्फ उन्हीं का परीक्षण किया जाएगा जिनमें कोविड-19 के लक्षण दिख रहे हों. यह नियम उस राष्ट्रीय दिशानिर्देश के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि रोगी के परिवार के सदस्यों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को का भी टेस्ट किया जाएगा, भले ही उनमें कोई लक्षण न दिख रहे हों.
लेकिन बाद में दिल्ली के लेफ्टिनेंट-गवर्नर अनिल बैजल ने सरकार के इस आदेश को उलट दिया और अब राजधानी में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा निर्धारित मापदंडों के आधार पर टेस्ट किए जाएंगे. बैजल ने चेतावनी दी कि कोविड-19 रोगियों के संपर्क में आए बिना लक्षणों वाले लोगों का टेस्ट नहीं करने पर यह रोग और फैल सकता है.