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जन्म (Birth) ही मौत की गारंटी (Guarantee) है, पर मनुष्य का स्वभाव (Human Behavior) है कि वह अधिक से अधिक लंबा जीवन (Long Life) जीना चाहता है। अब एक अध्ययन (Research) में यह बात सामने आयी है कि जितना तेज चलेंगे, उतना ज्यादा जिएंगे। हालांकि अब तक इंसान के जीने और ज्यादा जीने के बारे में बहुत सारे रहस्यों से पर्दा नही हट सका है। लेकिन वैज्ञानिक (Scientist) इस बात को लेकर लगातार शोध शोध कर रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है कि कोई 105 साल तक स्वस्थ रहता है जबकि किसी की मौत 65 साल में ही हो जाती है।
डचेज वैली में क्लेयर रोथ की एक रिपोर्ट के अनुसार इसी तरह के एक नए अध्ययन में पता चला है कि रोजमर्रा के कामों के दौरान जो लोग तेज कदमों से चलते हैं, उनके उम्र लंबी होने की संभावना ज्यादा होती है। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन (Britain) की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी (Leicester University) के डायबिटीज रिसर्च सेंटर (Diabetes Research Centre) के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। इस शोध के अनुसार काम करने के दौरान जो लोग तेजी से कदम रखते हैं उनके लंबा जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है, फिर चाहे वे शारीरिक रूप से सामान्य गतिविधि ही करते हों।
वैज्ञानिकों के अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि जो व्यक्ति तेज चलते हैं उसके क्रोमोसोम की सिरे लंबे होते हैं। इन सिरों या अंतखंड का उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में अहम योगदान होता है। जब कोशिकाओं का विभाजन होता है तो ये अंतखंड ही क्रोमोसोम की सुरक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए यह यह कुछ वैसा ही है जैसे जूते के फीते के सिरों पर प्लास्टिक का कवर लगा होता है जो उन्हें खुलकर बिखरने से रोकता है।
आपको बता दें कि हमारी कोशिकाएं हर वक्त विभाजित होती रहती हैं. जितना ज्यादा उनका विभाजन होता है, उतना ही अंतखंड छोटे होते जाते हैं। एकबार ये अंतखंड पूरी तरह खत्म हो जाता है तो कोशिकाओं का विभाजन रुक जाता है और वे मर जाती हैं। जब कोशिकाएं मर जाती हैं तो उत्तकों का क्षरण शुरू हो जाता है। इसलिए अंतखंडों की लंबाई अहम है क्योंकि जितना ज्यादा वे कोशिका-विभाजन को झेल पाते हैं, उतनी ज्यादा देर तक कोशिकाएं अपना काम करती रहती हैं।
कम्युनिकेशंस बायोलॉजी नामक पत्रिका में शोधकर्ताओं का यह अध्ययन छपा है. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने चार लाख पांच हजार यूके बायोबैंक हिस्सेदारों से उनके चलने की आदतों के बारे में बात की थी। इस दौरान उन्होंने समझना चाहा था कि चाल की तेजी का अंतखंडों की लंबाई से क्या संबंध है।
इस अध्ययन में शामिल लोगों में से लगभग आधे ऐसे थे जिनकी चाल औसत थी। 40 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि वे तेज चलते हैं और 6 प्रतिशत ने धीमी चाल से चलने की बात कही थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने तेज चाल की बात कही थी, उनके अंतखंड धीमी चाल वाले लोगों से ज्यादा लंबे थे।
जब 86 हजार लोगों के एक अन्य नमूने का अध्ययन किया गया तब भी इस नतीजे की पुष्टि हुई। इन लोगों की चाल को एक डिवाइस की मदद से आंका गया था इसमें पता चला कि जितनी ज्यादा तेज लोगों के चलने की रफ्तार थी, उतनी ही ज्यादा अंतखंडों की लंबाई भी थी।