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देश में प्राइवेट हास्पिटल की हकीकत - ज्ञानेन्द्र रावत
जहां तक मुझे जानकारी है हमारे देश में प्राइवेट हास्पिटल इसलिए खोले गये थे या उनको खोलने के पीछे एकमात्र उद्देश्य यह था कि कि जब सरकारी अस्पताल से मरीज निराश हो जाये या वहां घूसखोरी, नाकारेपन, बदइंतजामी और बेइमानी के चलते उसका समुचित इलाज न हो सके तब वह प्राइवेट अस्पतालों में जाकर अपना इलाज करा सके। लेकिन मौजूदा हालात इस धारणा के बिलकुल विपरीत हैं और प्राइवेट अस्पतालों की हालत सरकारी अस्पताल से भी बदतर है।
वह लूट-खसोट के अड्डे बनकर रह गये हैं। हां एक बात जरूर है कि उसमें सरकारी अस्पताल के मुकाबले साफ-सफाई की हालत बेहतर है। और परेशानी की हालत में घंटी बजाते ही आपके बिस्तर के पास डाक्टर खड़ा दिखाई देता है भले उसके एक बार आपके पास आने की कीमत पांच सौ या एक हजार होती है। यह सच है कि उसके सरकारी अस्पताल में बार बार बुलाने पर भी दर्शन दुर्लभ होते हैं। फिर जब वहां डाक्टर की हालत यह है, उस दशा में नर्स और बार्ड व्याय के बारे में तो सोचना ही बेकार है।
यहां हम आपके समक्ष एक वाकया प्रस्तुत कर रहे हैं जो भारत के प्राइवेट अस्पतालों की हकीकत बयां करने के लिए काफी है। इसका विवरण मुझे जाने माने शिक्षाविद और विचारक प्रो.रामजीलाल जांगिड़ ने भेजा है। उनके अनुसार एक भारतीय ने यहां से जॉब छोड़कर कनाडा जाकर वहां के एक बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में सेल्समेन की नौकरी ज्वाइन की। स्टोर के मालिक ने उससे
पूछा कि तुम्हें यह काम करने का कुछ तज़ुर्बा भी है? तब उसने कहा कि जी हां, मुझे इसका थोड़ा बहुत तजुरबा है। मैं काम बखूबी अंजाम दूँगा। मालिक ने खुश होकर उससे कहा ठीक है तुम काम करो। काम के पहले दिन उसने स्टोर में पूरा मन लगाकर काम किया और शाम को काम खत्म करके मालिक के पास जा पहुंचा। मालिक ने उसे देखकर पूछा कि आज काम के पहले दिन तुमने कितने की सेल की ? भारतीय ने जबाव दिया कि -सर,मैंने आज एक ही सेल की है।
मालिक यह सुनकर चौंककर बोला क्या आज मात्र एक ही सेल कर पाये तुम? मालिक बोला कि सामान्यत: यहां कार्य करने वाला हर सेल्समेन 20 से 30 सेल रोज़ाना करते हैं। अच्छा ये तो बताओ कि तुमने आज कितने रूपये की सेल की? तब भारतीय सेल्समैन ने जबाव दिया कि 93,300 डॉलर की। मालिक यह सुनकर चौंका और बोला क्या? लेकिन तुमने यह कारनामा कैसे किया? आश्चर्यजनक रूप से मालिक ने उससे पूछा।
तब भारतीय सेल्समैन ने कहा कि स्टोर में एक व्यक्ति आया और मैंने उसे एक छोटा मछली पकड़ने का हुक बेचा..! फिर एक मझोला और फिर अंततः एक बड़ा हुक बेचा..! फिर मैंने उसे एक बड़ी फिशिंग रॉड और कुछ फिशिंग गियर बेचे.! फिर मैंने उससे पूछा कि तुम कहां मछली पकड़ोगे.?उसने कहा कि वह कोस्टल एरिया में मछली पकड़ेगा। तब मैंने उससे कहा कि इसके लिए तो तुम्हें एक नाव की ज़रूरत भी पड़ेगी.?
अतः मैं उसे नीचे बोट डिपार्टमेंट में ले गया और उसे 20 फीट की डबल इंजन वाली स्कूनर बोट बेच दी.? जब उसने कहा कि यह बोट उसकी वोल्कस वेगन में नहीं आएगी। तब मैं उसे अपने ऑटो मोबाइल सेक्शन में ले गया और उसे बोट केरी करने के लिए एक नई डीलक्स 4 × 4 ब्लेज़र बेची.! और फिर मैंने उससे पूछा कि तुम मछली पकड़ते वक़्त कहां रहोगे.? तब वह बोला कि इस बाबत उसने कुछ प्लान ही नहीं किया है।तब मैं उसे कैम्पिंग सेक्शन में ले गया और उसे मैंने... six sleeper camper tent बेच दिया.! और तब उसने मुझसे कहा कि उसने जब इतना सब कुछ ले ही लिया है तो 200 डॉलर की ग्रासरी और बियर के दो केस भी दे दो। तब मेंने उसे वह भी दे दिये।
यह सुनकर मालिक दो कदम पीछे हटा और बेहद ही भौचक्के अंदाज़ में उसने पूछा : तुमने इतना सब उस आदमी को बेच दिया जो केवल 1 fish hook खरीदने आया था......? तब वह बोला, नो सर। वह तो केवल सरदर्द दूर करने की एक टेबलेट लेने आया था स्टोर में। तब मैंने उसे समझाया कि मछली पकड़ना सरदर्द दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है..! उस सेल्समैन के मुंह से यह सुनकर मालिक बोला कि तुमने इसके पहले भारत में कहां काम किया था.? तब वह बोला कि साहब ! भारत में मैं एक "प्राइवेट हॉस्पिटल" में डॉक्टर था.! घबराहट की मामूली शिकायत पर हम लोग मरीजों से पैथोलॉजी, ईको, ईसीजी, टीएमटी, सी टी स्केन,एक्सरे, एम आर आई इत्यादि टेस्ट करवा देते हैं.....! यह सुनते ही मालिक बोला--आज से तुम मेरी कुर्सी पर बैठो....। तुम इसके ही लायक हो। मैं अब भारत में ट्रेनिंग के लिये प्राइवेट हॉस्पिटल ज्वाईन करने जा रहा हूं।
भाइयों यह सब कहने का आशय आप सबको देश के प्राइवेट अस्पतालों के हाल बताने का ही है कि वह किस किस तरह और कैसे कैसे रोगियों की सेवाकर अपने धर्म का पालन करते हैं। सत्य मेव जयते। गर्व से कहो हम....... हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।)