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भारत के दो कफ सिरप को लेकर WHO ने जारी किया रेड अलर्ट, आप भी रहें सतर्क, जानें- पूरा मामला?
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने बुधवार को भारतीय दवा कंपनी मरीन बायोटेक (Marion Biotech) के दो कफ सिरफ को लेकर चेतावनी जारी की है. संगठन ने इन दवाओं को बच्चों के लिए इस्तेमाल न करने की सलाह दी है. WHO ने कहा है कि कंपनी के दो कफ सिरप गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरते और इनकी बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाई जानी चाहिए. उज्बेकिस्तान में 19 बच्चों की मौत का मामला इसी कंपनी की बनाई कफ सिरप से जुड़ा है.
WHO ने कहा है कि कंपनी की दो दवाओं Ambronol सिरप और DOK-1 Max सिरप को बाजार में बेचने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं. दवा बनाने वाली इस कंपनी का ऑफिस नोएडा सेक्टर 67 में स्थित है. उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों की मौतों को ध्यान में रखते हुए दोनों सिरप की जांच की थी जिसमें ये देखा गया कि दोनों ही दवाओं में डाइथिलीन ग्लाइकोल और इथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा अधिक थी जो बच्चों की मौत का कारण बना. मंत्रालय ने बताया कि सांस की गंभीर बीमारी से जूझ रहे 21 बच्चों ने इन दवाओं का सेवन किया था जिसमें से 19 की मौत हो गई.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक मरीन ने इन दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर डब्ल्यूएचओ को गारंटी नहीं दी है. उज्बेकिस्तान में मौतों की खबर आने के तुरंत बाद भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय कंपनी में दवाओं के उत्पादन पर रोक लगा दी थी. अब गुरुवार को उत्तर प्रदेश की सरकार ने कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया.
मरीन बायोटेक उज्बेकिस्तान में साल 2012 से ही रजिस्टर्ड है और उसी साल से अपनी बनाई दवाइयों को बेच रही है. भारत में हालांकि, इस कंपनी की दवाइयां नहीं बेची जाती हैं. पिछले हफ्ते ही उज्बेकिस्तान में 19 बच्चों की खांसी-सिरप से संबंधित मौतों की जांच कर रही पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था. इससे पहले गाम्बिया में भी कफ सिरप से कम से कम 70 बच्चों की मौत का मामला सामने आया था.
गाम्बिया की संसदीय समिति ने इन मौतों को नई दिल्ली स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स की बनी कफ सिरप से जोड़ा था. हालांकि कंपनी ने दवा की गुणवत्ता में किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया था. भारत सरकार ने दवा की जांच कराई जिसमें किसी प्रकार की खराबी नहीं निकली थी.