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हिमाचल चुनाव: एक बार कांग्रेस ने बनाई थी केवल 9 सीट पर सरकार
Arun Mishra
31 Oct 2017 4:27 PM IST
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हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए नौ नवंबर को मतदान होना है। चुनाव नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। दिसंबर में गुजरात विधान सभा चुनाव है इसलिए हिमाचल चुनाव को मीडिया में अपेक्षाकृत कम तवज्जो मिल रही है। महज 68 विधान सभा सीटों वाले इस राज्य में कांग्रेस की सरकार है, बीजेपी मुख्य विपक्षी दल है। इस बार भी मुकाबला इन्हीं दोनों दलों के बीच है। आज हम आपको इस छोटे से पहाड़ी राज्य के राजनीतिक उठापटक से जुड़ा 40 साल पुराना ऐसा किस्सा सुनाएंगे जिसे सुनकर शायद आप हैरत में पड़ जाएं।
जून 1975 में इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लगा दिया था। इंदिरा गांधी सरकार के इस फैसले से जनता में कांग्रेस के प्रति भारी आक्रोश था। 1977 में हुए चुनावों में जनता ने कांग्रेस को केंद्र समेत कई राज्यों में सत्ता से बाहर फेंक दिया। हिमाचल प्रदेश भी ऐसा ही राज्य था। राज्य की कुल 68 सीटों में से कांग्रेस केवल 56 सीटों पर ही चुनाव लड़ी। वहीं जनता पार्टी ने सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ा। नतीजे कांग्रेस के पैरों के नीचे से जमीन खिसकाने वाले थे। जनता पार्टी को 53 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस को नौ सीटों पर। छह सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को विजय मिली। राज्य में सरकार बनाने के लिए महज 35 विधायकों समर्थन चाहिए होता है। जनता ने साफ-साफ कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था और जनता पार्टी को बहुमत दे दिया था। लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद जो हुआ उससे राजनीतिक जानकारों ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं।
महज नौ सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के ठाकुर राम लाल ने निर्दलीय विधायकों और जनता पार्टी के विधयाकों की मदद से राज्य में सरकार बना ली। हालांकि उसकी ये सरकार करीब तीन महीने ही चल पायी। ठाकुर राम लाल 28 जनवरी 1977 से 30 अप्रैल 1977 तक सीएम रहे। लेकिन राम लाल की सरकार जल्द ही अल्पमत में आ गई और राज्य में 30 अप्रैल से 22 जून तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा। 22 जून को जनता पार्टी के नेता शांता कुमार राज्य के मुख्यमंत्री बनी। और इसी तरह राज्य में पहली बार-गैर कांग्रेसी सीएम बना। शांता कुमार के नेतृत्व में जनता पार्टी ने राज्य में सरकार तो बना ली लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायी। 14 फरवरी 1980 को शांता कुमार सरकार गिर गयी। वजह?
जनता पार्टी के 26 विधायक अपना दल कांग्रेस में शामिल हो गये। अल्प मत में आ जाने के कारण शांता कुमार को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। जनता पार्टी से आए विधायकों और निर्दलीय विधायकों की मदद से एक बार कांग्रेस ने राज्य में सरकार बना ली। सीएम बने ठाकुर राम लाल जो अप्रैल 1983 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। ठाकुर राम लाल के बाद कांग्रेस के ही वीरभद्र सिंह अप्रैल 1983 में पहली बार राज्य के सीएम बने। तब से अब तक वीरभद्र चार बार राज्य के सीएम बन चुके हैं। ये अलग बात है कि पिछले दो दशकों में बीजेपी और कांग्रेस की पारापारी सरकार रही है। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों की मानें तो इस बार हिमाचल में सत्ता परिवर्तन का ये ट्रेंड बरकरार रह सकता है।
Arun Mishra
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