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विश्लेषण : एक क्लिक में पढ़िए आजादी से अब तक कैसा रहा हिमाचल का इतिहास
हिमाचल प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों पर शनिवार को हो रहे मतदान में ४१२ प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पहाड़ की राजनीति का कड़वा सच एक ये भी है कि हर पांच साल में सरकार बदल जाती है। पहाड़ के लोगों की पसंद पांच साल में ही बदलने की असली वजह क्या है, जानकार समय-समय पर आंकलन करते रहते हैं। आपको यहां पर ये बताना जरूरी है कि हिमाचल में सरकार बनाने के लिए ३५ सीटों की जरूरत होती है। अगर साल २०१७ चुनाव की बात करें तो बीजेपी को ६८ में से ४४ सीटों पर जीत मिली थी, वहीं कांग्रेस को मात्र २१ सीटों पर संतोष करना पड़ा था।जबकि एक सीट सीपीएम और दो सीटें अन्य के खाते में गई थीं। इस बार के चुनाव में क्या होगा, ये तो आठ दिसंबर को पता चलेगा। इसी दिन ही यानी आठ दिसंबर को ही गुजरात चुनाव के नतीजे आएंगे।
पिछली चुनाव के नतीजे
दरअसल, साल २०१७ हिमाचल विधानसभा चुनाव 9 नवंबर, 2017 को हुए थे, जिसमें बीजेपी ४४ सीटें जीती थीं और पूर्ण बहुत से पहाड़ में अपनी सरकार बनाई थी। तब कांग्रेस ने 21 सीटों पर जीत दर्ज सकी थी। मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास 43 जबकि कांग्रेस के पास 22 विधायक हैं, वहीं सीपीआईएम का एक और दो निर्दलीय विधायक हैं।
कैसा रहा है हिमाचल का सफर
हिमाचल प्रदेश का इतिहास १९५२ से शुरू होता है। आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 की हिमाचल प्रदेश चीफ कमिश्नर के राज्यों के रूप में पहली बार अस्तित्व में आया था। 26 जनवरी 1950 को जब देश गणतंत्र बना तब हिमाचल प्रदेश को 'ग' श्रेणी के राज्य का दर्जा मिला था। तब से लेकर आज तक हिमाचल प्रदेश को अब तक छह अलग-अलग मुख्यमंत्री मिल चुके हैं। चुनावी इतिहास की बात करें तो अब तक के आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कांग्रेस का राज रहा है।
रोचक चुनाव के बारे में जानिए
वो साल १९९८ का था जब हिमाचल प्रदेश में चुनाव काफी रोचक हो गया था। इतिहास के पन्नों का खंगालने के बाद पता चला कि उस साल बीजेपी और कांग्रेस के बीच टाई की स्थिति हो गई थी। दोनों ही पार्टियों ने 31-31 सीटों पर जीत हासिल की थी। मतलब दोनों को ही बहुमत हासिल नहीं हो पाया था, जबकि बहुमत के लिए 35 सीटों की जरूरत थी। जानकारी के मुताबिक तब बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी। दरअसल,बीजेपी ने हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया और हिमाचल विकास कांग्रेस के पांच विधायकों के बल पर प्रेम कुमार धूमल सीए बन गए। आपको बता दें, हिमाचल प्रदेश में बीजेपी पहली बार 1982 में चुनाव लड़ी थी, तब पार्टी के 29 विधायक चुने गए थे। इससे पहले 1967 और 1972 में भारतीय जनसंघ, जबकि 1977 में जनता पार्टी ने कांग्रेस को टक्कर दी थी।