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2021 में 2.3 अरब लोगों ने खाद्य असुरक्षा का किया सामना
संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ईंधन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से भूखे लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है. यूक्रेन में युद्ध ने इस संकट को और बढ़ा दिया है. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बेस्ली का कहना है कि वर्तमान में रिकॉर्ड 34.5 करोड़ लोग भूख से पीड़ित हैं और मृत्यु के कगार पर हैं. इस साल की शुरुआत में यह संख्या 27.6 करोड़ थी और यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अब तक यह संख्या 25 फीसदी बढ़ गई है. कोविड-19 की महामारी से पहले 2020 की शुरुआत में यह संख्या 13.5 करोड़ थी. बेस्ली ने विश्व खाद्य कार्यक्रम और चार अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा वैश्विक भूख की स्थिति पर ताजा रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "हमें एक वास्तविक खतरा है, जो आने वाले महीनों में बढ़ने की संभावना है. इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि 45 देशों में 5 करोड़ लोग अब भुखमरी से सिर्फ एक कदम दूर हैं." संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विशेष रूप से अफ्रीका और मध्य पूर्व में खाद्यान्न और अनाज की आपूर्ति की समस्या अधिक गंभीर है। संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट कहती है कि असमानता, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और सशस्त्र संघर्ष, कोविड-19 के प्रकोप के बाद सामान्य स्थिति बहाल करने में भूख और कुपोषण पर काबू पाने में बड़ी बाधा बन रहे हैं. यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा की स्थिति को बढ़ा दिया है, जो पहले से ही महामारी के कारण गंभीर दबाव में थी.
यूएन के मुताबिक दुनिया भर में साल 2021 में 2.3 अरब लोग गंभीर या उससे कम स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे, एक साल पहले की तुलना में भूख की मार झेलने वाले लोगों की यह संख्या साढ़े चार करोड़ और 2019 की तुलना में 15 करोड़ अधिक है. विशेषज्ञों ने पहले ही चेतावनी दी है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के कारण और भुखमरी पैदा हो सकती है. रूस और यूक्रेन आवश्यक कृषि उत्पादों के प्रमुख निर्यातक हैं, जिनमें गेहूं और सूरजमुखी के तेल से लेकर खाद तक शामिल हैं.
बेस्ली ने यूक्रेन से गेहूं और अन्य अनाज के निर्यात के लिए एक राजनीतिक समाधान खोजने का आह्वान किया है. बेस्ली ने मानवाधिकार संगठनों से "छोटे पैमाने की भूख" से निपटने के लिए अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने का आह्वान किया. उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े देशों से सबसे गरीब देशों में निवेश करने की भी अपील की. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के उपाय किए गए तो "यूक्रेन में युद्ध का इतना विनाशकारी वैश्विक प्रभाव नहीं होगा."