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नेपाल में नक्शे पर तनातनी, 3 नेपाली कैडेट्स भारतीय सेना में शामिल
देहरादून: नेपाल ने जिस दिन अपने नए नक्शे को संसद से मंजूरी दी, ठीक उसी दिन भारतीय सेना में आईएमए के तीन नेपाली कैडेट शामिल हुए हैं। लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल ने अपने नक्शे में बताया है, जबकि ये इलाके भारत के उत्तराखंड में हैं। देहरादून में इंडियन मिलिट्री अकैडमी यानी आईएमए से तीन नेपाली कैडेट्स ने ट्रेनिंग पूरी कर ली है। अब ये भारतीय सेना में कमिशन्ड ऑफिसर बन गए हैं।
पूर्वी नेपाल के सूरज राय बने सैन्य अफसर
नवनियुक्त तीनों कमिशन्ड अफसरों ने हालांकि भारत-नेपाल के बीच चल रही तनातनी पर कुछ भी बोलने से इनकार किया। उन्होंने इसे एक राजनीतिक मामला बताया। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने एक सुर में कहा कि भारत की सेवा के लिए हम समर्पित हैं। नेपाल के निवासी सूरज राय ने भारतीय सेना में एक सैनिक से लेकर आईएमए ग्रैजुएट होने के अपने सुनहरे सफर को याद किया। पूर्वी नेपाल के ईटाहारी के रहने वाले सूरज राय ने आईएमए में ऐडमिशन से पहले एक जवान के तौर पर भारतीय सेना में सात साल सेवाएं दीं।
29 साल के सूरज को जाट रेजीमेंट में जिम्मेदारी
आईएमए में ट्रेनिंग के दौरान राय को निजी जीवन में बड़ी निजी क्षति भी हुई, जब उनके पिता की मौत हो गई। राय के पिता भी भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में सैनिक थे। नेपाल में अपने घर पर पिछले महीने कार्डिएक अरेस्ट से वह चल बसे। जाट रेजीमेंट के लिए कमिशन्ड 29 साल के राय ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'मुझे उनके मौत की खबर उस समय मिली जब हमारी ट्रेनिंग चल रही थी। मुझे इस बात का बहुत दुख हो रहा था कि मैं अंतिम वक्त में उन्हें नहीं देख पाया।'
गोरखा रेजीमेंट में नेपाली लोगों के शामिल होने की परंपरा
भारतीय सेना में नेपाल के लोगों के शामिल होने की काफी पुरानी परंपरा रही है। देहरादून में बेस्ड रिटायर्ड सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग ने बताया, 'नेपाल के नागरिक कई दशकों से भारतीय सेना जॉइन करते रहे हैं। खास तौर से गोरखा रेजीमेंट में जवान से लेकर अफसर रैंक के लोग शामिल होते रहे हैं।'
"एक ऐसा वक्त था जब केवल नेपाल के गोरखा लोग ही इस रेजीमेंट को जॉइन करने आते थे। अब चूंकि नेपाल के बहुत सारे लोग भारत में सेटल हो गए हैं तो रेजीमेंट में भारतीय और नेपाली नागरिकों का अनुपात तकरीबन बराबर है।"
-रिटायर्ड ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग
भारत-नेपाल शांति संधि से मिली हुई है सहूलियत
रिटायर्ड ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग गोरखपुर में गोरखा रिक्रूटमेंट डिपो में कमांडेंट के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने बताया, 'एक ऐसा वक्त था जब केवल नेपाल के गोरखा लोग ही इस रेजीमेंट को जॉइन करने आते थे। अब चूंकि नेपाल के बहुत सारे लोग भारत में सेटल हो गए हैं तो रेजीमेंट में भारतीय और नेपाली नागरिकों का अनुपात तकरीबन बराबर है। भारत-नेपाल शांति संधि के मुताबिक दोनों देशों का कोई नागरिक एक-दूसरे के देश में कोई नौकरी करके सेटल हो सकता है। यही वजह है कि नेपाल के लोग भारतीय सुरक्षा बलों में जवान और अफसर दोनों रूप में शामिल हो रहे हैं।'
Kalapani Dispute: भारत और नेपाल के बीच 'कालापानी बॉर्डर' का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। नेपाल इस मुद्दे पर भारत से बात करना चाहता है। नेपाल का कहना है कि आपसी रिश्तों में दरार पड़ने से रोकने के लिए कालापानी मुद्दे को सुलझाना अब बहुत जरूरी है। सवाल है कि जिस मसले को लेकर दोनों देशों के बीच कभी कोई तनाव के हालात नहीं बने, उसे लेकर अब ऐसी बैचैनी क्यों है? खास तौर पर नेपाल की ओर की।
नेपाल की संसद में विवादित नक्शा पास
भारत और नेपाल के बीच नक्शे को लेकर विवाद चल रहा है। भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी और डिफेंस एक्सर्ट मारूफ रजा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'मुझे भरोसा है कि नेपाल के लोग इंडियन आर्मी में शामिल होना जारी रखेंगे।' बता दें कि नेपाल की संसद ने देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को लेकर पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया। भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है।