- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
ईरान में फंसे 65 भारतीयों की गुहार, अब तो हमें बचालो सरकार
65 भारतीय ईरान में फंसे हुए हैं. उनके पैसे खत्म हो रहे हैं. मार्च में उनके वीजा की वैलिडिटी भी खत्म हो जाएगी. कोरोना की वजह से ईरान लॉकडाउन है. इसलिए वे अपने लेबर कैंप में बंद हैं. बाहर नहीं निकल सकते. भारतीय दूतावास ने मदद का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया. कहा आप तेहरान आ जाइए हम स्क्रीनिंग करके आपको देश भेज देंगे. लेकिन ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से ये भारतीय फंसे हुए हैं.
ईरान में जैसे-जैसे लोगों के कोरोना संक्रमित होने की संख्या बढ़ती जा रही है, इन भारतीयों का डर भी गहरा होता जा रहा है. ये लोग तेहरान से करीब 300 किलोमीटर दूर अर्देश्तान में फंसे हुए हैं. जिस कंपनी में ये लोग काम करते हैं वो मदद नहीं कर रही है. कंपनी के पास पासपोर्ट जब्त हैं. अब इन भारतीयों का कहना है कि संक्रमित होने से पहले हमें कोई भारत पहुंचा दे.
Aajtak.in से वॉट्सऐप के जरिए बातचीत में इस जगह पर फंसे महाराष्ट्र के सोलापुर के भरत इघोले ने बताया कि करीब एक महीने से 65 भारतीय 8-9 कमरों में यहां फंसे हुए हैं. भारतीय दूतावास से फोन से संपर्क कर उन्हें निकालने की गुहार लगा रहा है. लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है. ये भारतीय यूपी, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले नीतेश कुमार चौहान ने वॉट्सऐप के जरिए बताया कि सभी भारतीयों को ईरान की काविर कॉरपोरेटिव स्टील कंपनी में काम के लिए भेजा गया था. यह कंपनी अर्देश्तान प्रांत में है.
65 भारतीयों में उत्तर प्रदेश के आठ लोग हैं. नीतेश कुमार चौहान (वाराणसी), पप्पू चौहान (वाराणसी), अशोक कुमार (वाराणसी), गुड्डू चौहान (वाराणसी), जीवतलाल चौहान (वाराणसी), हजारी विश्वकर्मा (चंदौली), वीरेंद्र कुमार चौहान (मऊ) और विनोद कुमार (चंदौली). Aajtak.in के पास इन 65 भारतीयों की पूरी लिस्ट है.
@PMOIndia @DrSJaishankar@India_in_Iran 65 Indian labourers are stuck in Adresan 300 kms away from Tehran and are not in a condition to travel to Tehran for getting their tests done in the embassy, Instead embassy can send two people and get their tests done.
— Shaheen Sayyed (@nihahs24) March 30, 2020
Who will help them? pic.twitter.com/NXTNjkBK85
नीतेश चौहान ने बताया कि कोरोना के चलते काम प्रभावित हुआ तो कंपनी ने काम रोक दिया. इसके बाद सभी भारतीयों ने देश वापसी के लिए 25 मार्च का टिकट करा लिया. लेकिन तभी वहां लॉकडाउन हो गया और सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हो गया. छत्तीसगढ़ के रायपुर की इंडस्ट्रियल टेक्निकल कंसल्टेंट कंपनी ने उन्हें ईरान भेजा है.
गल्फ देशों में भारतीयों की मदद करने वाली समाज सेविका शाहीन सैयद ने वॉट्सऐप कॉल और मैसेज से बताया कि यहां फंसे भारतीयों ने तेहरान स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों गडम्मा धर्मेंद्र और कार्यालय प्रमुख आकाश वानखेड़ा से कई बार मदद मांगी.
इसके बाद कुछ दिन पहले दूतावास ने ईमेल से सभी 14 से 16 मार्च के बीच दूतावास आकर कोरोना की जांच कराने को कहा. लेकिन कंपनी ने दूतावास तक जाने के लिए साधन नहीं दिया.
शाहीन ने बताया कि इस वजह से दूतावास तक ये 65 भारतीय पहुंच नहीं पाए. इसके बाद लॉकडाउन हो गया. अब जा नहीं सकते. शाहीन ने भारतीय सरकार से सवाल किया है कि क्या भारत सरकार दो मेडिकल स्टाफ अर्देश्तान पर्सियन पेट्रोल पंप के नजदीक स्थित इन भारतीयों के कैंप में भेजकर स्क्रीनिंग करवा ले. इसके बाद एक बास से उन्हें तेहरान ले आए. मेडिकल स्टाफ को अर्देश्तान स्थित कैंप भेजने को लेकर दूतावास की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.
भरत इघोले ने बताया कि हम सभी को बहुत ज्यादा डर लग रहा है. क्योंकि क्या पता यहां क्या हो जाए. इस देश के नियम कायदे इतने सख्त हैं कि हमें बहुत मुश्किल हो जाएगी. इसलिए भारत सरकार से अपील है कि हमें यहां से जल्द से जल्द निकाले.
समाज सेविका शाहीन सैयद ने बताया कि इन भारतीयों की हलात बहुत अच्छी नहीं है. ये लोग जिस जगह पर रहते वो बेहद गर्म इलाका है. इनके पास खाने-पीने का सामान भी कम ही बचा है. ज्यादा दिन तक ये लोग इस तरह से नहीं रह पाएंगे.