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अमेरिका के बाद ब्रिटेन भी तालिबान से अपने दूतावास कर्मचारियों को वापस लाएगा
लंदन एजेंसी : तालिबान का आतंकवाद अफगानिस्तान में इस कदर बढ़ चुका है कि हर देश खौफ रहा है। अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन ने भी अपने दूतावास से कर्मचारियों को वापस लाने की घोषणा कर दी है। ब्रिटेन का कहना है कि, तालिबान अफगानिस्तान के आधे से ज्यादा इलाकों पर कब्जा कर चुका है। जैसा कि कल कंधार पर तालिबान ने कब्जा किया, इसके मद्देनजर कनाडा भी कोई नई घोषणा कर सकता।
ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने ब्रिटिश कर्मचारियों को वापस लाने के साथ-साथ कहा कि, हम उन अफगान नागरिकों को भी संरक्षण देंगे जिन्होंने पिछले दो दशकों से भी ज्यादा अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा में अपनी सेवाएं दी हैं।
प्रधानमंत्री जॉनसन ने ब्रिटिश कर्मचारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमने 20 सालों में कोई भी पश्चिम की तरफ अलकायदा का हमला नहीं देखा इसके लिए हां अपने कर्मचारियों का धन्यवाद देते हैं यह शांति बनाने के लिए अहम कदम था।
भारत के लिए क्यों अहम है मुद्दा ?
भारत एशिया की विकासशील अर्थव्यवस्था है और चीन के बाद भारत का दूसरा नंबर है। भारत पड़ोसी देश, पाकिस्तान की वजह से आजादी के बाद बेवजह दंश को झेलता रहा है। कई बार स्रोत के अनुसार पाया गया है कि तालिबान, पाकिस्तान को हथियार तस्करी करता है। जिसे लेकर भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका मुखर विरोध किया है। अभी हाल ही में यूएनसी की बैठक में पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया था, कि भारत, हम(पाकिस्तान)पर यह आरोप लगाता है कि तालिबान हमें हथियार तस्करी करता है जबकि यह आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं तालिबान भी वैसे ही सैनी के जैसे किसी और देश के होते हैं"
यदि पाकिस्तान के इस बयान को देखा जाए तो इससे जाहिर है पाकिस्तान तालिबान का समर्थन करता है और जो आरोप भारत, पाकिस्तान पर लगाता है वह ना तो झूठे हैं और ना ही बेबुनियाद हैं। इसका प्रत्यक्ष परिणाम कल तालिबान के द्वारा कंधार पर किया हुआ कब्ज़ा है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तालिबान ने पश्चिम एशिया को जिस आग में धकेला है। यदि तालिबान की नापाक हरकतें यूं ही जारी रही, तो पश्चिम एशिया को उसमें से निकलने के लिए सदिया लगेंगी।