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हिरणों का कब्रिस्तान बन गया है बाड़मेर--ज्ञानेन्द्र रावत

Shiv Kumar Mishra
1 Sept 2024 11:07 AM GMT
हिरणों का कब्रिस्तान बन गया है बाड़मेर--ज्ञानेन्द्र रावत
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घटना स्थल पर बिखरे पड़े हिरण के अवशेष व मृत हिरण

बीते कई बरसों से राजस्थान का बाड़मेर जिला हिरणों के लिए मौत का सबब बन गया है। जब देखो कहीं न कहीं हिरणों के या तो शव मिल जाते हैं या फिर मृत हिरणों के अंग अलग- अलग जगहों पर पडे़ दिखाई देते हैं। इस अंचल में हिरणों का शिकार कर उनके मांस का कारोबार बरसों से जारी है। विडम्बना यह है कि लम्बे समय से हिरणों की जारी हत्याओं और इस सबसे दुखी क्षेत्रीय लोगों के भारी रोष की न तो जिला प्रशासन को ही चिंता है और न ही राज्य सरकार को। ऐसा लगता है कि हिरणों की हत्याओं के लिए उनके हत्यारे शिकारियों और उनके मांस के कारोबार करने वालों को जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने खुली छूट दे रखी है। यही वजह है कि हिरणों की हत्याओं के खिलाफ व्यापक जनरोष पर जिला प्रशासन मौन साधे बैठा है और इलाके के लोग इसके विरोध में धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

वैसे तो मरुभूमि के इस अंचल में हिरणों का शिकार कोई नयी बात नहीं है लेकिन बीती 12 अगस्त को 20 हिरणों की हत्या किये जाने और उनमें से कुछ को तो शिकारी अपने साथ ले जाने में कामयाब रहे और 12 के शव मिले जिनमें से 8 हिरण तो हाथ पैर बंधे मृत अवस्था में गांववालों को मिले। दरअसल लीलसर गांव के एक खेत में अलग- अलग मृत अवस्था में हिरणों के मिलने और कुछ के शवों को कुत्तों द्वारा नोंच-नोंच कर ले जाने की सूचना से समूचे क्षेत्र में हड़कंप मच गया और इसके विरोध में महंत मोटनाथ महाराज, लीलसर व सोडिया गांव सहित आसपास के क्षेत्रवासी लामबंद हो जिला प्रशासन से तत्काल कार्यवाही की मांग करने लगे। इसमें क्षेत्रीय लोगों के साथ-साथ बाड़मेर जिला जंभेश्वर पर्यावरण एवं वन्यजीव समिति के अध्यक्ष श्री भंवर लाल भादू , राज्य अध्यक्ष पीपराम धायल और अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र बूडि़या, चौहटन विधायक आदूराम मेघवाल, लीलसर सरपंच हीरालाल मुढ़ण, भाजपा ब्लाक अध्यक्ष जयकिशन भादू, पंचायत समिति सदस्य बीरेन्द्र बोला, अर्जुन राम खिलेरी व सहदेव चौधरी सहित सैकड़ों की तादाद में स्थानीय लोगों के साथ आने से ग्रामीणों को और बल मिला और उन्होंने इसके विरोध में धरना देना शुरू कर दिया।

गौरतलब है कि लीलसर गांव के पास दो धोरों की पाल है। इसके आसपास दूर-दूर तक किसी का घर नहीं है। इसी का फायदा उठाकर पाल के इलाके में शिकारी रात में हिरणों का शिकार करते हैं और फिर इन हिरणों को एक जगह इकट्ठा कर उनका मांस निकालकर होटलों में सप्लाई करते हैं। हिरणों के बचे अंगों को वन्यजीवों के अंगों का कारोबार करने वाले तस्करों को बेच देते हैं। ग्रामीणों के अनुसार हिरणों का शिकार करने वालों को तो केवल प्रति हिरण के हिसाब से 300-400 रुपये से ज्यादा नहीं मिलते हैं। मोटी कमाई तो उनका मांस होटलों में सप्लाई करने वाले व उनके अंगों का व्यापार करने वाले करते हैं। जंभेश्वर पर्यावरण एवं वन्य जीव समिति के जिलाध्यक्ष और क्षेत्रीय लोगों का एकमुश्त मानना है कि इस सबके पीछे बड़े गिरोह का हाथ है। बीते कुछेक सालों से इस इलाके में हिरणों की तादाद लगातार घटती जा रही है। इसके पीछे हिरणों का शिकार अहम कारण है। हिरणों के शिकार करने वाले गिरोह को ऊंचे लोगों का संरक्षण हासिल है। यही वह अहम कारण रहा जिसके चलते लम्बे समय से इलाके में हिरणों का शिकार होता रहा है और इन पर आजतक बार-बार आवाज उठाने के बावजूद कोई अंकुश नहीं लग सका है। यह सब अधिकारियों, शिकारियों, हिरण के मांस का कारोबार करने वालों, होटल मालिकों और नेताओं की मिलीभगत का नतीजा है जिसका खामियाजा बेचारे निरीह हिरणों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है।

यही नहीं विगत दिनों धनाऊ पंचायत के दीनगढ़ गांव के पास दुर्लभ सफेद चिंकारा का शव मिला। यह जान लेना जरूरी है कि दुनिया में अति दुर्लभ प्रजाति का सफेद हिरण जो विलुप्त जीवों की सूची में शामिल है, इस जिले के चौहटन, सेवा सहित सीमांत इलाका में पाया जाता है। इसे कृष्ण मृग भी कहते हैं। एक समय यह मुनारखडा़ वन क्षेत्र में बहुतायत में पाया जाता था लेकिन धीरे-धीरे संरक्षण के अभाव और शिकार के चलते विलुप्ति के कगार पर पहुंच गया है। शिकारी अक्सर इसके शिकार की ताक में रहते हैं क्योंकि इसकी उन्हें अच्छी-खासी कीमत मिलती है। अब यह इलाके में गिने-चुने ही बचे हैं।

धरना दे रहे नेताओं का कहना है कि जिले के आला अधिकारियों सहित डी एफ ओ सविता दह्या, एएसपी जसाराम बोस, डीएसपी चौहटन कृतिका यादव, डीएसपी सुखाराम बिश्नोई आदि ने आरोपियों की पांच दिन में शीघ्र गिरफ्तारी का आश्वासन देकर धरना तो खत्म करवा दिया लेकिन आज इतने दिन बाद तक इसका मुख्य आरोपी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। लेकिन कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार कर पुलिस ने अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर ली है। स्थानीय ग्रामीण और धरना देने वाले नेता पुलिस की इस कार्यवाही से कतई संतुष्ट नहीं हैं। उनके अनुसार प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश में हैं। उनका मानना है कि यदि मुख्य आरोपी गिरफ्तार कर लिया जाता है तो इसमें संलिप्त बड़े बड़े लोगों के चेहरे बेनकाब हो जायेंगे। वे गिरोह के सरगना कृष्ण देशांतरी और सगताराम भील सहित हिरण का मांस बेचने वालों, खरीदने वाले होटल मालिकों की भी गिरफ्तारी पर अडे़ हैं। इस बाबत उन्होंने भंवरलाल भादू के नेतृत्व में जिला कलेक्टर निशांत जैन को दिए ज्ञापन में कहा है कि चिंकारा हिरण वन्यजीवों की लुप्तप्राय श्रेणी का जीव है। इसका शिकार करना, उसके अंग व मांस को बेचना, खरीदना व खाना अक्षम्य अपराध है। यह प्रदेश की संस्कृति और पर्यावरण की धरोहर है। ज्ञापन में कहा है कि अक्सर इस इलाके में केकातरला, हाथितला, थुम्बली,निबलू, पनपेडा़, पनुरिया और होड में हिरणों का शिकार करने वाले शिकारी पकड़े जाते हैं लेकिन कुछ दिन बाद जमानत पर छूटकर जगह बदलकर फिर बारदात शुरू कर देते हैं। जबतक इस गिरोह पर अंकुश नहीं लगाया जायेगा, हिरण बेमौत मारे जाते रहेंगे। यदि ऐसा हुआ तो हिरण भी किता बों की वस्तु बनकर रह जाएंगे।

दरअसल लीलसर हिरणों के शिकार प्रकरण में जो संदिग्ध पुलिस ने गिरफ्तार किये उनसे इस बात का खुलासा हुआ ही नहीं कि आखिर इतने सारे हिरणों की डील कहाँ से हो रही थी। घटना स्थल पर धरना पर लगभग इलाके के पांच हजार लोग से ज्यादा ने भाग लिया। धरने पर बैठे लोग मांग कर रहे थे कि जब तक मुख्य आरोपी शिकारी कृष्ण देशांतरी गिरफ्तार नहीं होगा और मांस की कहां-कहां सप्लाई होती है का खुलासा नहीं होगा तब तक धरना जारी रहेगा। लेकिन एएसपी व डीएफओ व प्रशासन के आश्वासन पर धरना स्थगित कर दिया गया लेकिन हकीकत में प्रशासन के कहने पर वन्यजीव प्रेमी झांसे में आ गये जिसका अहसास उन्हें तब हुआ जब उनको मालूम पड़ा कि असली आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बहुत दूर है और पुलिस प्रशासन का आश्वासन महज धरना खत्म करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। तब सात दिन बाद क्षेत्रीय लोग कलेक्टर से मिले और उन्हें ज्ञापन दिया। लेकिन कलेक्टर के पांच दिन आरोपी की गिरफ्तारी के लिए मांगने के बाद भी स्थिति जस की तस है और ग्रामीण आज भी आरोपी की गिरफ्तारी की आस लगाये बैठे हैं। विडम्बना देखिए जिस जिले का राज्य सरकार में मंत्री हो और वहां इतनी बड़ी घटना हो जाये, उसके बावजूद मंत्री कृष्ण कुमार बिश्नोई की चुप्पी सवाल पैदा करती है कि आखिर ऐसा क्यों? यही नहीं धरने के बाद से अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुडिया का लापता हो जाना संदेह को और मजबूत करता है कि कहीं न कहीं दाल में कुछ काला जरूर है। वन्यजीव समिति के अध्यक्ष भंवर लाल दादू की मानें तो घटना के बीस दिन बाद भी मुख्य आरोपी कृष्ण देशांतरी की गिरफ्तारी न होना यह संकेत है कि राजनीतिक दबाव के चलते प्रशासन इस मामले में कारवाई करने से कतरा रहा है।

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।)

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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