दुनिया का सबसे बड़ा थर्मस बना रहा बर्लिन, 5 करोड़ लीटर पानी आएगा इसमें
रूस यूक्रेन युद्ध का असर यूरोप में क्या क्या हो रहा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। संकट से निपटने के लिए यूरोपीय देश अलग अलग योजनाएं बना रहे हैं। इसी प्रकार आने वाले समय में रूसी गैस की आपूर्ति ठप हो जाने को लेकर तैयार रहने के लिए बर्लिन में एक विशालकाय थर्मस बनाया जा रहा है. इसी की मदद से सर्दियों में शहर के घरों को गर्म रखने की योजना है.
बर्लिन की स्प्री नदी के किनारे जंग के रंग का यह विशालकाय टावर एक तरह का थर्मस है. उम्मीद की जा रही है कि सर्दियों में अगर यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस ने यूरोप को गैस देना बंद कर दिया तो इसी थर्मस की मदद से बर्लिन में घरों का गर्म रखा जा सकेगा. 150 फुट ऊंचे इस टावर में 5.6 करोड़ लीटर पानी भरा जा सकता है. इसे बनाने वाली कंपनी वाटेनफॉल का कहना है कि इसमें गर्मी का तब भंडारण किया जा सकता है जब उसकी जरूरत ना हो और बाद में आवश्यकता पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसके अंदर जीवाश्म ईंधनों की जगह सौर और पवन ऊर्जा की मदद से पानी को गर्म किया जाएगा. इसे बनाने में करीब पांच करोड़ यूरो खर्च हो चुके हैं. इसमें 200 मेगावाट तक गर्मी का भंडारण किया जा सकता है. गर्मियों में बर्लिन के लोगों की गर्म पानी की जरूरत के लिए काफी है. सर्दियों में इससे करीब 10 प्रतिशत जरूरत पूरी हो पाएगी. इसमें करीब 13 घंटों तक पानी को गर्म रखा जा सकता है. इसका निर्माण साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. बन जाने के बाद यह यूरोप का इस तरह का सबसे बड़ा टावर होगा. नीदरलैंड्स में इससे भी बड़े एक टावर को बनाने की योजना पर काम चल रहा है.
जर्मनी में रूसी गैस के इस्तेमाल में कटौती का असर दिखने लगा है. एक अनुमान के मुताबिक पिछले साल के शुरू के पांच महीनों के मुताबिक इस साल उसी अवधि में गैस की खपत में 14.3 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है. इस तरह की तैयारियों के साथ साथ लोगों को जितना हो सके उतनी ऊर्जा बचाने के लिए कहा जा रहा है. जर्मनी में वाटेनफॉल की प्रमुख तान्या विलगोस कहती हैं कि बचाया हुआ हर एक किलोवाट प्रति घंटा देश के काम आएगा.