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BIG BREAKING :भारत ठीक वही खेल खेलने वाला है जो अमेरिका में खेला गया
अमेरिका में अब तक कोरोना से हुई मौत 1 लाख 5 हजार 557 दर्ज की गयी है ओर टेस्ट 1 करोड़ 72 लाख हुए हैं जबकि रशिया में टेस्ट 1 करोड़ 3 लाख हुए हैं लेकिन मौतें मात्र 4 हजार 555 दर्ज की गयी है
अब कोई समझदार आदमी होता तो यह जरूर पूछता कि ऐसा कैसे संभव है कि एक ही वायरस अमेरिका में इतनी मौतों का कारण बनता है लेकिन रूस में उससे सिर्फ साढ़े चार हजार मौतें ही होती है?
मैं आपको बताता हूँ कि ऐसा क्यो है दरअसल यह सब WHO की गाइडलाइंस का खेल है कौन सा देश उसकी गाइडलाइंस को किस ढंग से ले रहा है कोरोना से हुई मौतों की संख्या उसी पर डिपेंड कर रही है
अब भारत मे क्या होने जा रहा है वह समझिए ....कल 30 मई को बीबीसी में एक लेख प्रकाशित हुआ है इस लेख में बताया गया है कि ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने कोरोना से हुई मौतों को दर्ज करने की गाइडलाइन में कुछ बेसिक तब्दीलियां की हैं.
इस चेंज को ध्यान से समझिएगा .....बीबीसी लिखता है 'कोविड-19 के मरीज़ों का इलाज कर रहे डाक्टरों से कहा गया है कि वो उन मामलों में 'कोरोना को मौत के बुनियादी कारण' के रूप में दर्ज करें जिसमें मरीज़ निमोनिया, श्वसन तंत्र के बंद होने या हार्ट फेल होने से मरा हो.
इस नए दिशा-निर्देश के मुताबिक़ चिकित्सक को तीन कॉलम्स भरने होंगें जिसमें मौत की तत्काल वजह, पूर्ववर्ती कारण और दूसरी वजहें भरनी होंगी. यानी तात्कालिक वजह में कोरोना बताए जाने का दवाब है साफ है कि डॉक्टरों को यह साफ साफ निर्देश दिए गए हैं कि हॉस्पिटल में हुई अधिकतर मौतों को कोरोना से हुई मृत्य के खाते में लिखा जाए ..
11 मई को नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर से इसकी पुष्टि की जा सकती है उसमे भी कहा गया है कि 'नए दिशा-निर्देशानुसार में आईसीएमआर ने कहा कि मौत का उचित कारण ना पता चल पाने लेकिन कोरोना वायरस के लक्षण होने पर ऐसे मामले ''संभावित कोविड-19'' मृतक श्रेणी में दर्ज किए जाएंगे। दिशा-निर्देशों के अनुसार लक्षण होने लेकिन जांच रिपोर्ट लंबित होने पर यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाए तो उसे संदिग्ध मौत की श्रेणी में दर्ज किया जाएगा। वहीं लक्षण होने लेकिन जांच में कोविड-19 ना होने की पुष्टि होने पर उन्हें क्लिनिकल तरीके से महामारी विज्ञान से निदान की गई कोविड-19 की श्रेणी में दर्ज किया जाएगा.
'द प्रिंट' तो एक ओर ग़जब की बात बता रहा है वह लिखता है 'दिशा-निर्देशों के अनुसार लक्षण होने लेकिन जांच रिपोर्ट लंबित होने पर यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाए तो उसे संदिग्ध मौत की श्रेणी में दर्ज किया जाएगा. वहीं लक्षण होने लेकिन जांच में कोविड-19 ना होने की पुष्टि होने पर उन्हें क्लिनिकल तरीके से महामारी विज्ञान से निदान की गई कोविड-19 की श्रेणी में दर्ज किया जाएगा'.
यानी हस्पताल में भर्ती पेशेंट को यदि मामूली सर्दी जुखाम भी है या नॉर्मल फीवर भी है और उसकी मृत्यु हो रही है तो यह कोरोना में हुई मृत्यु दर्ज की जाएगी, यदि उसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव भी आई है तो भी वह कोरोना से हुई मृत्यु ही दर्ज की जाएगी . मुझे लगता है ठीक यही काम अमेरिका में भी किया गया है. साफ दिख रहा है कि मोदी सरकार एक तरफ तो लॉक डाउन खोल रही है वही दूसरी ओर अंतराष्ट्रीय दबाव में पैनिक फैलाने का काम कर रही है.