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भारत से लड़ने के लिए चीन दे रहा सैनिकों को उच्च प्रशिक्षण...
नई दिल्ली (एएनआई): भारत से मुकाबले के लिए चीन पीएलए में शामिल तिब्बती टुकड़ी को ऊंचाई वाली जगहों पर स्पेशल ऑपरेशन करने के लिए तैयार कर रहा है। इस बाबत वो इसमें शामिल जवानों को ट्रेनिंग देने में लगा है। आपको बता दें कि कुछ समय पहले ही भारतीय एजेंसियों और सेना की तरफ से ये जानकारी सामने आई थी कि चीन युवा तिब्बतियों को अपनी सेना में शामिल करने के लिए उनकी भर्ती कर रहा है।
सूत्रों का कहना है कि चीन तिब्बत के लोगों को तभी अपनी सेना में शामिल करता है जब उसे यकीन हो जाता है कि वो चीन के प्रति वफादारी है। इसके लिए इन लोगों को कई बार टेस्ट भी किया जाता है। चीन की सेना में शामिल होने वाले किसी भी तिब्बती को मैंड्रिन भाषा सीखना और प्रैक्टिस करना उसकी सबसे पहली प्राथमिकता होती है।
एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चीन अब भारत की नकल करते हुए एक ऐसी स्पेशल फोर्स बनाने की कोशिश कर रहा है जो ऊंचाई वाली जगहों पर लड़ाई में महारत रखती हो। आपको बता दें कि भारतीय सेना में ऊंचाई वाली जगहों पर सेवा दे रही सेना की टुकडि़यों में कई तिब्बती भी शामिल हैं। इसके अलावा इनमें पहाड़ी क्षेत्र के रहने वालों को तरजीह दी जाती है। इन्हें ऊंचाई वाली जगहों पर होने वाली लड़ाइयों और वहां की चुनौतियों के बारे में जानकारी होती है।
पिछले वर्ष जब लद्दाख के ऊंचाई वाली जगहों पर चीन की सेना की वजह से तनाव फैला था तब भी भारतीय सेना के साथ मिलकर इन जवानों ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर किया था। उन्होंने भारतीय सेना की इकाइयों के साथ मिलकर पिछले साल अगस्त में पैंगोंग त्सो के दक्षिणी में ऊंचाइ वाली चोटियों पर कब्जा करके देश को चीन की सेना पर बढ़त दिलाई थी।
अब इस इलाके में मुंह की खाने के बाद चीन इसके लिए फिर से तैयारी कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि इसी मकसद से चीन सेना की तिब्बती टुकड़ी ने अपने दुर्गम इलाके ड्रिल की है। आपको बता दें कि तिब्बत के हिस्से वाले चीन में अधिकतर लोग चीन के खिलाफ हैं। वहां पर अधिकतर दलाई लामा के समर्थक हैं और उनके फॉलावर्स भी हैं। पिछले वर्ष अप्रैल-मई में चीन और भारतीय सेना लद्दाख के इलाके में आमने सामने आ गई थीं।
लंबे समय तक दोनों के बीच तनातनी भी जोरों पर थी और दोनों ने ही अपनी पूरी तैयारी भी की थी। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों तरफ से कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता हुई थी। लंबे गतिरोध के बाद चीन की सेना कुछ पीछे तो चली गई लेकिन इसके बाद भी उसकी नीयत को लेकर आशंका लगातार बनी रहती है।