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कोरोना से लड़ने के नाम पर इस देश ने लोकतंत्र ही खत्म कर दिया, ये नेता हमेशा बने रहेगा प्रधानमंत्री

Arun Mishra
4 April 2020 3:51 AM GMT
कोरोना से लड़ने के नाम पर इस देश ने लोकतंत्र ही खत्म कर दिया, ये नेता हमेशा बने रहेगा प्रधानमंत्री
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बुडापेस्ट : कोरोनावायरस के डर की आड़ लेकर यूरोपियन देश हंगरी में लोकतंत्र का खात्मा कर दिया गया है। हंगरी की संसद ने अपने प्रधानमंत्री विक्टर ओरबन को हमेशा सत्ता में बने रहने का अधिकार दे दिया है। संसद में ओरबन की फीडेस पार्टी का दो तिहाई बहुमत मिला है। यहां कोविड-19 को लेकर एक बिल पारित किया गया, जिसके तहत प्रधानमंत्री को हमेशा सत्ता में बने रहने का अधिकार मिला है। साथ ही यहां चुनाव और जनमत संग्रह अनिश्चित समय के लिए रोक दिए गए हैं। बिल में यह नहीं बताया गया कि आपातकाल कब खत्म होगा, जिसका अर्थ है कि यह भी सरकार ही तय करेगी।

राजनीतिक टिप्पणीकार जोल्टन सिगलेडि ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि हंगरी में पिछले एक दशक से लोकतंत्र खत्म करने की तैयारी चल रही थी। महामारी के खतरे से पहले ही सरकार ने न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला करते हुए सांस्कृतिक संस्थानों को बंद करने की कोशिश की थी। सरकार ने कहा था कि संसद के पास आपातकाल को खत्म करने का अधिकार है। इस पर आलोचकों का कहना है कि जिस संसद में विपक्ष के पास पर्याप्त मत नहीं हैं। वहां कैसे सरकार के फैसले को पलटा जा सकता है। नए कानून के तहत गलत खबर पब्लिश करने पर पत्रकार या अन्य किसी भी व्यक्ति को पांच साल तक जेल भेजने का प्रावधान है। करीब एक करोड़ की आबादी वाले हंगरी में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 623 मामले सामने आए हैं, इसमें 26 लोगों की मौत भी हो चुकी है।

यूरोपियन यूनियन ने बिना नाम लिए हंगरी की निंदा की

हंगरी यूरोपियन यूनियन (ईयू) का सदस्य है और ईयू के सदस्य होने की एक शर्त होती है कि वहां पर लोकतंत्र होना जरूरी होता है। ईयू ने बिना हंगरी का नाम लिए निंदा की है। ईयू ने कहा- लोकतंत्र, आजादी और कानून का राज ईयू की नींव है। हमारे सारे सदस्य कड़ी परिस्थितियों में भी इन्हें अपनाए रखें। बता दें कि हंगरी ईयू से 2004 में जुड़ा था।

लोकतंत्र की मांग कर सत्ता में आए थे ओरबन और उसे ही खत्म कर दिया

हंगरी में हमेशा से कम्युनिज्म शासन रहा है। 1989 में विक्टर ओरबन ने लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की मांग कर बड़े प्रदर्शन और रैलियां की थीं। 1989 में ही हंगरी संसदीय लोकतंत्र बन गया। इसके नौ साल बाद 1998 में ओरबन प्रधानमंत्री बन गए। 1994 में चुनावों के दौरान ओरबन की फीडेस पार्टी को कम सीटें मिलीं तो ओरबन सत्ता में पकड़ बनाने के लिए अलग हथकंडे अपनाने लगे और अब कोरोनावायरस की आड़ में लोकतंत्र खत्म कर दिया।

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

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