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चीन में मुसलमानों के साथ बुरे बर्ताव की जांच की मांग
चीन पर अक्सर मुसलमानों के साथ बहुत बुरे सलूक के आरोप लगते रहते हैं। चीन के राज्य सिनकियांग में उइगर नस्ल के मुसलमानों की बड़ी संख्या आबाद है। इन मुसलमानों के साथ चीन के सरकार द्वारा बुरे सलूक की खबरें अक्सर मीडिया में आती रहती हैं लेकिन चीन इनका खंडन करता रहता है। सिनकियांग से मिली खबरों के अनुसार मुसलमानों को कैंपों में रखे जाने की बातें सामने आई हैं जबकि चीन इन्हें ट्रेनिंग कैंप करार देता और उन्हें कट्टरता से दूर रखने की कोशिशें बताता है। मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वाच ने चीन के सिनकियांग में बसने वाले मुसलमानों के कठिन जीवन और उन्हें दी जा रही यातनाओं के बारे में जांच की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है। ह्यूमन राइट्स वाच ने संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार परिषद से कहा कि सिनकियांग में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार की जांच करे। यह मांग तब की गई है जब इसी विषय में संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट जारी होने वाली है।
ह्यूमन राइट्स वाच की अधिकारी लूसी मैकरनन ने जेनेवा में एक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि मानवाधिकार परिषद को चाहिए कि मानवाधिकारों के हनन की जांच के लिए आज़ाद जांचकर्ताओं की एक टीम बनाए और इसके लिए मानवाधिकार परिषद के एक प्रस्ताव की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर वहां मानवाधिकारों का हनन हो रहा है और जो गंभीर स्थिति है उसे देखते हुए तत्काल इस मामले की जांच कराई जाने चाहिए। पश्चिमी देशों की रिपोर्टों में चीन पर आरोप लगाया जा रहा है कि उसने 10 से अधिक उइगर मुसलमानों को शिविरों में बंद करके रखा है जहां उन्हें यातनाएं दी जाती हैं। चीन इन आरोपों का खंडन करता है और उसका कहना है कि यह शिविर अलग अलग महारतें सिखाने के लिए स्थापित किए गए हैं और इनका मक़सद कट्टरपंथ का मुक़ाबला करना है। मानवाधिकार के मामलों में संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष रिपोर्टर मिशेल बैचलिए जल्द ही एक रिपोर्ट जारी करने वाली हैं।