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जर्मनी में अवैध रूप से नशीली दवाओं का सेवन करने की वजह से मरने वालों की संख्या कई वर्षों से लगातार बढ़ रही है. हैम्बर्ग शहर में बुधवार को ऐसे ही लोगों की याद में शोक सभा का आयोजन किया गया. जर्मनी में ड्रग के सेवन से संबंधित मौतों की संख्या 2021 में लगातार चौथे वर्ष बढ़ी है. कुल 1826 पुरुष और महिलाओं की मौत हुई है. इनमें से ज्यादातर लोग हेरोइन और ओपिओइड (अफीम युक्त दवा जो डॉक्टरों के पर्चे पर दर्द निवारण या नींद लाने के लिए दी जाती है) का सेवन करते थे. जर्मन सरकार के नारकोटिक्स कमिश्नर बुर्कहार्ड ब्लिनर्ट का कहना है, "ये आंकड़े मुझे बहुत दुखी करते हैं. वे चौंकाने वाले हैं. इनसे साफ पता चलता है कि हम ड्रग्स पर अपनी नीतियों में पहले की तरह नहीं चल सकते." यह एक ऐसी समस्या है जो सामान्य जर्मन लोगों की समस्या से अलग है. वर्षों से अमेरिका भी एक ओपिओइड संकट से त्रस्त है. वहां हर पांच मिनट में ओवरडोज की वजह से एक व्यक्ति की मौत होती है.
अक्सर कहा जाता है कि नशीली दवाओं से जुड़ी सख्त नीतियों की वजह से अधिक मौत होती है, लेकिन यह बात हर जगह लागू नहीं होती. बवेरियन प्रसारक बायरिशर रुंडफुंक ने हाल ही में एक जांच रिपोर्ट में पाया कि सख्त कानून का यह मतलब नहीं है कि अधिक मौतें होंगी. हालांकि, यह भी कहा गया कि अधिक उदार कानून और सहायता सेवाओं तक आसान पहुंच से लोगों की जान बचाई जा सकती है. फ्रैंकफर्ट में इंस्टीट्यूट ऑफ एडिक्शन रिसर्च के हाइनो स्टोवर नशे की रोकथाम के विशेषज्ञ हैं. वह उन नीतियों की वकालत करते हैं जिसमें छोटे पैमाने पर ड्रग के सेवन को अपराध नहीं माना जाता. स्टोवर ने डीडब्ल्यू को बताया, "जर्मनी में एक तरफ शराब और तंबाकू के इस्तेमाल को अनुमति देने वाली नीतियां हैं. मैं इन्हें बहुत ही उदारवादी कहूंगा. बहुत अनियमित. वहीं, दूसरी तरफ जब अवैध ड्रग्स की बात आती है, तो यह बहुत ही कठोर है."उन्होंने कहा कि जहां कम मात्रा में भांग का सेवन करने वाले को कठोर कानून का सामना करना पड़ता है. वहीं, तंबाकू और शराब जैसे ड्रग से निपटने के लिए कोई रणनीति नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा, "हर साल होने वाली करीब 1,27,000 मौतें तंबाकू से जुड़ी होती हैं. वहीं, करीब 74,000 मौतें शराब की वजह से होती हैं. और ये भी नशीली दवाओं से होने वाली मौतों के तहत ही आती हैं."
लिसेरगिक एसिड डायथाइलामाइड (एलएसडी) को एसिड भी कहा जाता है. यह ड्रग अपने मनोवैज्ञानिक प्रभावों के लिए जाना जाता है. इसे लेने के बाद आस-पास के माहौल में भावनायें, अनुभूतियां और छवियों के बदलने का एहसास होता है, हालांकि ऐसा असली में नहीं होता लेकिन इसे लेने वाले ऐसा महसूस करते हैं. इस ड्रग को मैजिकल मशरूम का भी नाम दिया गया है. हालांकि, अब शायद बदलाव हो सकता है. 2021 में बनी नई सरकार के एजेंडे में भांग के सेवन को वैध बनाना शामिल है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत नालोक्सन के प्रभाव की जांच की जा रही है. नालोक्सन एक नाक के जरिए इस्तेमाल होने वाला स्प्रे है, जो तुरंत प्रभाव से हेरोइन की अधिक मात्रा को रोक सकता है. सन 1939 में जर्मनी के नाजियों ने अपने सैनिकों को ड्रग्स देकर पोलैंड में और फिर अगले साल फ्रांस में युद्ध करने के लिए भेजा था. फ्रांस पर हमले के दौरान मेथएम्फीटेमीन पर्विटीन की 3.5 करोड़ टैबलेट सैनिकों में बांटी गयी थीं. इसे "टैंक चॉकलेट" नाम मिला. विपक्षी सेना ने भी अपने सैनिकों को ड्रग्स दी थी.