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जर्मन सरकार ने अप्रवासियों के लिए व्यवस्था में बड़े सुधार का निर्णय लिया है जिससे ज्यादा प्रवासियों को यहां रहने की अनुमति मिल सकेगी. हालांकि शरणार्थियों के अधिकारों की बात करने वालों का कहना है कि अभी बहुत कुछ और किया जाना बाकी है। जर्मनी में रहने की मंजूरी को लेकर अधर में लटके 130,000 से ज्यादा आप्रवासियों को यहां स्थायी रूप से रहने की अनुमति मिलने की उम्मीद पैदा हो गई है.
जर्मनी की आप्रवासन की नीतियों में बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व वाली सरकार बुधवार को सुधारों का एक पैकेज लागू करने पर सहमत हो गयी है. इसमें उन लोगों के जर्मनी में स्थायी रूप से रहने का रास्ता साफ हो सकता है जो "डुल्डुंग" यानी टॉलरेंस दर्जे के साथ पांच साल से अधिक समय से यहां रह रहे हैं. शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी की नेता और जर्मनी की गृह मंत्री नैन्सी फेजर ने ट्विटर पर लिखा है, "हम एक विविध आप्रवासी देश हैं. अब हम एक बेहतर समेकित देश बनना चाहते हैं."
बीते सालों के रुढ़िवादी शासन में प्रवासन की नीतियों की ओर इशारा करते हुए फेजर ने यह भी लिखा है,"मैं प्रवासन और समेकन को सक्रिय रूप से एक आकार देना चाहती हूं बजाए इसके कि हम उन्हें अनिच्छा से उसी तरह प्रशासित करें जैसे कि पिछले 16 सालों में हुआ है." डुल्डुंग का दर्जा आम तौर पर उन लोगों को दिया जाता है जिन्हें जर्मनी में शरण तो नहीं मिली लेकिन जो कई वजहों से अपने देश वापस नहीं जा सके. इसमें उनके देश में लड़ाई या गिरफ्तारी की आशंका, गर्भ या गंभीर बीमारी के अलावा जर्मनी में पढ़ाई या फिर नौकरी के लिए ट्रेनिंग में होने जैसे कारण शामिल हैं. हालांकि कानूनी रूप से उन्हें यह देश छोड़ कर जाना होगा और उनके सिर पर प्रत्यर्पण की तलवार लटकती रहेगी.
डुल्डुंग बहुत थोड़े समय के लिए ही वैध होता है और लोगों को यह दर्जा कई बार दिया जा सकता है हालांकि तब भी उन्हें काम करने की अनुमति मिलने के कोई आसार नहीं होते. गृह मंत्री नैन्सी फेजर ने जिस नई योजना का प्रस्ताव दिया है उसके तहत 1 जनवरी 2022 तक जिन लोगों ने जर्मनी में पांच साल डुल्डुंग दर्जे के साथ पूरे कर लिए हैं उन्हें एक साल का रेजिडेंसी दर्जा दिया जायेगा. इस एक साल के दौरान उन्हें साबित करना होगा कि वो जर्मन समाज के साथ समेकित हो कर रहना चाहते हैं. इसका मतलब है कि उन्हें इस एक साल में जर्मन भाषा सीखने के साथ ही एक ऐसी नौकरी भी हासिल करनी होगी जिससे उनका खर्च चल सके. इस तरह के प्रवासियों को कुछ और शर्तों को भी पूरा करना होगा. जो लोग किसी गंभीर अपराध के दोषी हैं, जिन्होंने गलत पहचान से शरण के लिए आवेदन किया है और जिन लोगों ने कई आवेदन किये हैं उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.
अपराध के मामले में थोड़ी छूट यह मिली है कि मामूली जुर्माने या फिर बाल अपराध अदालत में चले मामलों की अनदेखी की जा सकती है.शरणार्थियों के अधिकार के लिए काम करने वाले संगठन 'प्रो असाइल' की यूरोपीय शाखा के निदेशक कार्ल कॉप का कहना है कि वो ऐसे कई लोगों से से मिले हैं जो इस कानूनी अधर में लटके हुए हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "कल्पना कीजिये कि आपके पास टॉलरेंस दर्जा है, आपका परिवार है, स्कूल में आपके बच्चे हैं जो धाराप्रवाह जर्मन बोलते हैं, जो यहीं पले बढ़े हैं. ऐसे हाल में आप बस यह साफ कर देना चाहते हैं कि आप इस देश के हैं, आप सिर्फ यही चाहते हैं कि यह अनिश्चितता खत्म हो." कॉप ने यह भी कहा, "बहुत से लोग इस डर के साये में सालों तक जीते हैं कि पुलिस उन्हें प्रत्यर्पित कर देगी. इससे उनकी सारी ऊर्जा खत्म हो जाती है और कई तरह की परेशानियां आती हैं." कॉप ने बताया कि वो ऐसे बहुत से लोगों को जानते हैं कि जो टॉलरेंस दर्जे के साथ नौकरी के लिए ट्रेनिंग कर रहे हैं और उनकी कंपनियों को उन्हें देश में रहने देने के लिए सरकार से जूझना पड़ रहा है. सरकार के समेकन आयुक्त रीम अलाबाली रादोवान ने ट्वीटर पर लिखा है कि नया कानून जर्मनी में करीब 135,000 लोगों के लिए एक बेहतर जिंदगी का पुल बनेगा. रादोवान ने लिखा है, "हम जर्मनी को एक आधुनिक आप्रवासी देश के रूप में ढाल रहे हैं."
विपक्षी दलों के नेताओं ने इस कदम की आलोचना की है. सीडीयू के घरेलू नीति प्रवक्ता आलेक्जांडर थ्रोम ने कहा है कि सरकार की नीति जर्मनी में अवैध आप्रवासिन के लिए "बड़ा प्रोत्साहन" बनेगी. थ्रोम ने यह भी कहा, "इस पहले के साथ गठबंधन शरण के कानून को कमजोर कर रहा है." ग्रीन पार्टी के नेता ओमिद नूरीपोर ने इस कदम का बचाव किया है, उनका दावा है कि यह जर्मनी में कुशल कामगारों की भारी कमी को दूर करने में मददगार होगा. नूरीपोर ने कहा, "हम लोगों के लिए नई संभावनाएं खोल रहे हैं. आधुनिक आप्रवासन कानून का एक हिस्सा प्वाइंट सिस्टम पर आधारित है. इस वजह से यह प्रस्तावित कानून कुशल कामगार आप्रवासन कानून के नियमों को सुदृढ़ भी बनायेगा." नूरीपोर ने इसके साथ ही यह भी कहा, "शरण की प्रक्रिया का संरक्षण दर्जे के साथ खत्म होना और किसी शरण के आवेदन के खारिज होने में फर्क होना चाहिए. हालांकि अगर कोई खारिज आवेदन किसी को जर्मनी में स्थायी तौर पर रहने का रास्ता भी बनाता है तो फिर शरण की प्रक्रिया मोटे तौर पर अपने आप ही बेकार हो जाती है." शरणार्थी संगठनों ने सरकार के रुख की सराहना की है हालांकि इस पर अमल को लेकर उनके मन में संदेह बना हुआ है. प्रो असाइल के कॉप का कहना है, "हम 100,000 लोगों को नियमित दर्जा मिलने की मंशा का स्वागत करते हैं. हालांकि हम उन समस्याओं की ओर भी ध्यान दिलायेंगे जहां हमें लगता है कि कानून को ज्यादा सटीक होने की जरूरत है."।
कॉप का कहना है कि स्थायी निवास की अनुमति के लिए एक साल के भीतर सारी शर्तों को पूरा करना काफी कठिन है, इन शर्तों के पूरा नहीं होने पर उनके फिर से टॉलरेंस दर्जे में चले जाने का जोखिम है. कॉप का कहना है कि वो और ज्यादा मानवीय लचीलेपन की उम्मीद कर रहे हैं. उनका कहना है, "यह बहुत आसानी से हो सकता है कि कोई नौकरी की तलाश में तो जाये लेकिन आर्थिक हालातों की वजह से उसे सफलता ना मिले." उन्होंने यह भी कहा कि नई योजना के तहत जो लोग भी रेजिडेंसी के हकदार बनते हैं उनके प्रत्यर्पण की आशंका को खत्म करने का प्रावधान होना चाहिए. अलाबाली रादोवान ने इस बात पर जोर दिया है कि मौजूदा सुधार सिर्फ "मील का पहला पत्थर" है और साल के आखिर तक और योजनाओं पर भी अमल होगा जिसमें प्रवासियों के लिए श्रम बाजार तक बेहतर पहुंच बनाने जैसे कदम भी शामिल होंगे