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दुनिया में बढ़ती ईंध्रन की डिमांड और कार्बन उत्सर्जन के खतरे को देखते हुए जर्मन कंपनी सीमेंस ने हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन बना ली है. यह ट्रेन जर्मन रेल ऑपरेटर डॉयचे बान के लिए बनाई गई है जो 2024 से पटरी पर दिखेगी.फ्यूल सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर स्वच्छ बिजली बनाते हैं. स्वच्छ बिजली का मतलब ऐसी ऊर्जा जिसमें कार्बन का उत्सर्जन नहीं होता और सिर्फ पानी निकलता है.जर्मन रेल सेवा डॉयचे बान का कहना है कि इस ट्रेन के परिचालन में कार्बन का उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होगा.
कार्बन उत्सर्जन घटाना टिकाउ विकास के लिए जरूरी है. इस रेलगाड़ी का जीवनकाल 30 साल माना जा रहा है और इस दौरान यह कुल मिलाकर 45000 टन कार्बन डाईऑक्साइड को वायुमंडल में जाने से रोकेगी. आमतौर पर हाइड्रोजन गैस उद्योग से आता है लेकिन सीमेंस के बनाये ट्रेन मॉडल में ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है जो टिकाऊ स्रोतों से आता है फैक्ट्रियों से नहीं. इसे मीरेयो प्लस एच नाम दिया गया है. जर्मन सरकार 2030 तक देश की समस्त रेल सेवा का 75 फीसदी बिजली से चलाने पर काम कर रही है.
इसी के तहत हाइड्रोजन फ्यूल सेल का इस्तेमाल किया जा रहा है. 2024 में इसे ट्यूबिंगन, होर्ब और फोरत्साइम के बीच व्यापारिक मकसद से चलाया जायेगा. दो जर्मन राज्यों ने फ्रांस की एल्सटॉम को 41 ट्रेनों का ऑर्डर भी दे दिया है जो पहले से ही हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन बना रही है.