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पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का वैश्विक प्रभाव
पाकिस्तान में जिस तरह से मंदिर को ढहाया गया है, यह बड़ा ही निन्दनींय कृत्य है। हालाकिं जिन अराजक तत्वों नें ढहाया है, उन्हें यह समझना होगा कि इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।भारत देश प्राचीन काल से ही धर्म के मामलें में सहिष्णु रहा है। परन्तु जिस प्रकार से परिस्थितियां बदली है,यह उम्मीद करना बेमानीं होगा कि भारत में कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी । पाकिस्तान के निवासियों को भी समझना होगा कि अगर पाकिस्तान में किसी भी धर्म या समाज के लोंगो पर अत्याचार होगा तो इसका गंभीर परिणाम अन्य देशों में रह रहे मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भुगतना पड़ सकता हैं।
अगर वैश्विक रूप से आतंकवाद की बात करें तो पाकिस्तान ही आतंकवाद की जड़ और जन्मदाता भी है। इसकी मुख्य कारण यह विश्व के बड़े आतंकवादियों का पनाहगार रहा है। वह चाहे मुंबई बंम ब्लास्ट से संबधित रहे हों या वर्ड ट्रेड सेंटर से जुडे रहे हों। वर्तमान समय में दाऊद हो या अन्य बड़े आतंकी संगठन को संरक्षण भी प्रदान करता रहा है, बलूचिस्तान के आतंकियों को संरक्षण प्रदान करता रहा है। हिंदूस्तान के कश्मीर में लगातार आतंकी गतिविधियों को भी अंजाम देता रहा है।
जहां विश्व कोरोना की चपेट से निकलनें की जद्दोजहद कर रहा है। तो दूसरी तरफ पाकिस्तान में कुछ लोग शान्ति को भंग करनें का प्रयास कर रहें हैं।हालाकिं भारत की तरह पाकिस्तान में मुस्लिम समुदाय से भी लोग मंदिर तोड़ने के विरोध में सड़कों पर उतरे, पाकिस्तान में रहीमयार इलाके में मंदिर तोड़ने को लेकर विरोध प्रर्दशन किया जा रहा है। प्रर्दशन में हिन्दू ही नही मुस्लिम भी साथ रहें । मंदिर के वायरल वीडियों के पहले एक हिंन्दू महिला का वीडियों सामने आया था जिसमें हिंदू महिला को प्रताड़ित किया जा रहा था।
कराची में इकट्ठा लोगों नें जय श्री राम हर हर महादेव के नारे लगायें साथ ही दोषी को फांसी दिये जाने की मांग की। विरोध प्रर्दशन में उपस्थित करांची स्थित हनुमान मंदिर के पुजारी राम नाथ मिश्र का कहना , पाकिस्तान में अल्पंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है। देवी देवताओं का अपमान किया जाता है। रैली में हिन्दू के अतिरिक्त सिख पारसी ईसाई भी सम्मिलित हुये। इनकी मांग है कि जिस तरह पाकिस्तान में इस्लाम का अपमान करने पर दण्ड मृत्यु दंड दिया जाता है ।उसी प्रकार अन्य धर्मों का अपमान करने वालों को भी मृत्यु दंड दिया जाना चाहिये।
वहीं अल्पसंख्यकों के साथ आये मुस्लिम समुदाय के लोंगों को भारत में रह रहे अपने परिजनों को लेकर भी चिंता है। उनको भी यह डर है कि कही ऐसी स्थिति भारत में होगी तो इसके परिणाम भी गंभीर होंगें। धर्म को लेकर अक्सर इस्लाम धर्म या पाकिस्तान में तमाम प्रकार के झगड़े देखे गयें हैं। क्योंकि अगर समय परिस्थिति के अनुसार जो चीज अपनें आप को बदल नहीं सकती अवश्यंभावी है ,कि वह या तो विभिन्न प्रकार की कुरीतियों का शिकार हो जाती है ,या समाप्त हो जाती है। समझना होगा कि ठहरा हुआ पानी भी ज्यादा दिनों तक उपयोग के काबिल नहीं रहता है। और विश्व में धर्म का उदय लोंगों में चेतना जागृत करने के साथ साथ एक संदेश देने के लिये हुआ था।
लोग अपने जीवन को सरल बना सकें । स्थिति परिस्थति के अनुसार प्रकृति का चुनाव पेड़ पौधों, सूरज चांद ,नदी नीर को पूजनीय माना गया । सभी धर्म का मूल उद्देश्य है मनुष्य को सद्मार्ग पर ले जाना । परन्तु आज विश्व का कोई भी धर्म हो हिन्दू , मुस्लिम सिख ईसाई धर्माचार्य नें जटिल बना दिया है। मुल्ला मौलवी हो या कोई धर्माचार्य उन्हे धर्म के व्यापार से बड़ा मुनाफा कहीं और नहीं नजर आता है। विश्व का कोई भी देश हो अगर धर्म की मूल जड़ में उलझ गया ,तो उसका विकास संभव नही है। क्येंकि जब धर्म लोंगों के दिमाग में जगह बना लेता है तो विकास के सारे मुद्दे गौड़ हो जाते है और सिर्फ प्रभावी राजनीति में धर्म ही मुख्य तौर पर उभरकर सामने आता है। परन्तु ऐसी स्थिति में धर्म के साथ कोई भी देश विकास की लंबी रेस में आगे नही बढ़ सकता ।
एक तरफ जहां लोगो का जीवन बचाना मुश्किल हो रहा तो दूसरी तरफ भूखमरी के विश्व में बढ़ने की संभावना प्रबल है। ऐसी स्थिति में सभी देशों को साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा। क्योंकि सभी देंशों को पूरी तरह से वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं हो पायी है।भारत की अर्थव्वस्था गिर रही है बाजार चौपट हो रहें है। इसका यह कत्तई मतलब नहीं है कि विश्व के अन्य देश विकास की अँधी दौड़ लगा रहे हैं।
कोरोना नें विश्व को एक ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया , जहां से उन्हे उनकी पुरानी विकास दर तक पहुचनें में ही दशकों लग सकते हैं।ऐसी अवस्था में विश्व के नागरिकों को रोजी रोजगार की दिक्कतों का गंभीर सामना करना पड़ेगा। साथ ही साथ बेरोजगारी भूखमरी की वजह क्राईम औऱ चौरी छिनैती आतंकवाद जैसी परिस्थिति के बढ़ने की पूरी संभावना है। संभव है समय रहते अगर विश्व समुदाय साथ मिलकर आगे बढ़े तो विकास की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही साथ कोरोना के वैश्विक प्रभाव से तात्कालिक रूप से निजात पाया जा सकता है।
(बृजेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार)