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इमरान खान ने पकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की , सिद्धू बोले - हिन्दुस्तान जीवे , पकिस्तान जीवे
काले रंग की शेरवानी में थे इमरान खान
शपथ ग्रहण समारोह में इमरान काले रंग की शेरवानी में थे। उनके साथ उनकी पत्नी बुशरा इमरान भी थीं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में कार्यवाहक प्रधानमंत्री नसीरुल मुल्क, नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर, सेना प्रमुख जनरल कमर जावे बाजवा, वायुसेना प्रमुख मार्शल मुजाहिद अनवर खान और नौसेना प्रमुख एडमिरल जफर महमूद अब्बासी सहित कई गणमान्य मौजूद थे।
उधर, भारत से इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए पंजाब कैबिनेट के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू भी मौजूद थे। उन्होंने शपथग्रहण समारोह स्थल पर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की और उनके गले मिले।
राष्ट्रपति मामून हुसैन ने दिलाई शपथ
सिर्फ एक बार 1992 के वर्ल्डकप में पाकिस्तान क्रिकेट टीम की जीत के वक्त कप्तान रहे इमरान खान ने साल 1996 में अपना कदम राजनीति में रखा। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख शाहबाज शरीफ को हराकर शीर्ष पद का चुनाव जीता। इमरान को 176 वोट मिले, जबकि शहबाज को केवल 96 वोट हासिल हुए। शहबाज को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने को लेकर विपक्षी महागठबंधन में पहले ही मतभेद उभर आए थे।
पीटीआई प्रमुख की आसान जीत
25 जुलाई के आम चुनाव के बाद बनी 15वीं नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री का चुनाव महज एक औपचारिकता रह गई थी। दरअसल, बिलावल भुट्टो जरदारी की अगुआई वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) अपने 54 सांसदों के साथ मतदान से अलग रही, जिसके बाद विपक्षी महागठबंधन के लिए 65 वर्षीय इमरान के दावे को चुनौती देना असंभव हो गया। पीएमएल-एन के पास सदन में सिर्फ 82 सीटें हैं।
सर्वाधिक समर्थन जुटाने में सफल रहे
आम चुनाव में पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। कुल 270 सीटों पर हुए चुनाव में पीटीआई को 116 सीटें मिली थीं। नेशनल असेंबली की कुल 342 सीटों में 272 पर सीधे चुनाव होते हैं। इसके अलावा 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं।
नेशनल असेंबली में मतदान से पहले पीटीआई ने नौ निर्दलीय सांसदों का समर्थन जुटाया था और महिलाओं व अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित 33 सीटें हासिल की थीं। इस तरह उसके पास कुल 158 सदस्य हो गए थे। उसे कई छोटे दलों का समर्थन भी था, जिससे उसे 175-176 सांसदों का समर्थन मिलने की संभावना थी। मतदान के बाद यह संभावना सही निकली।