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डिप्लोमेटिक वॉर: US-ऑस्ट्रेलिया-जापान-आसियान-यूरोप, चीन को हर जगह से झटके पर झटका
चीन पिछले काफी लंबे वक्त से अपनी विस्तारवादी नीति के लिए जाना जाता रहा है और उसकी कोशिश हर हालत में इसे लागू करने पर रहती है. लेकिन इस बार जब चीन ने भारत के सामने इस नीति को अपनाने की कोशिश की, तो उसे ये भारी पड़ गया. क्योंकि भारत के जवाब के बाद अब लगभग दुनिया का हर ताकतवर देश चीन के खिलाफ खड़ा हो गया है.
भारत ने सबसे पहले चीन के बिजनेस पर चोट करते हुए भारत में काम कर रहीं 59 मोबाइल ऐप्स पर रोक लगा दी और इन्हें सुरक्षा के लिए खतरा बताया. इसके बाद अमेरिका ने भी भारत के फैसले का स्वागत किया और इसे देश की सुरक्षा के हित में बताया.
अमेरिका लगातार भारत और चीन में जारी विवाद के मसले पर भारत की तरफ खड़ा है और गलवान घाटी की घटना, दोनों देशों में तीखे संबंधों के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराया है. अमेरिका ने भी चीन की दो कंपनियों को सुरक्षा के लिए खतरा बताया और उनपर बैन लगा दिया.
दुनिया में कैसे फंस गया चीन?
अमेरिका और भारत से इतर ऑस्ट्रेलिया लगातार चीन पर हमला बोल रहा है. बीते दिनों ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा साइबर अटैक हुआ था और शक चीन पर ही गया था. इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने अपना डिफेंस प्लान पेश किया है, उसमें भारत-चीन विवाद को शामिल किया है.
दूसरी ओर जापान के साथ पहले ही चीन का 36 का आंकड़ा है, क्योंकि हान्गकान्ग का मसला हो या फिर ताइवान या दक्षिणी चीन सागर का विवाद, जापान हमेशा चीन के खिलाफ रहा है.
इतना ही नहीं मौजूदा वक्त में दक्षिणी चीन सागर में जापान ने अपनी नेवी को मजबूत किया है. अमेरिका-जापान और भारत की तिकड़ी लगातार चीन का गेम बिगाड़ रही है.
अगर आसियान जैसे संगठन और यूरोप की बात करें, तो दोनों ओर से वियतनाम के विवाद और हान्गकान्ग में लागू किए गए कानून का विरोध किया गया है. ऐसे में चीन की ओर से चौतरफा हमला हो रहा है. वो भी तब जब वो पहले से ही कोरोना वायरस के मसले पर दुनिया के निशाने पर है.
गलवान घाटी में झड़प के दौरान भारत के बीस जवान शहीद हुए थे, जिसके बाद देश में चीन के खिलाफ गुस्सा है. अबतक भारत में चीनी कंपनियों को दिए कई प्रोजेक्ट रुक गए हैं, भविष्य में चीनी कंपनियों से बैर किया जा रहा है. सरकारी प्रोजेक्ट से दूर किया जा सकता है और टिकटॉक जैसी कंपनी पर बैन लग चुका है.