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समाचार एजेंसी, काबुल : तालिबान का मुद्दा वैश्विक हो चुका है और सभी राष्ट्र अफगानिस्तान पर गंभीर दिखाई दे रहे हैं जी7 इसकी परिणति बना है। अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बातचीत के लिए एक रोडमैप बनाने की योजना पर जी-7 के देश सहमत हो गए हैं। मंगलवार को एक वर्चुएल बैठक में दुनिया के सात अमीर देशों ने यह फैसला किया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि काबुल में अब 'संभवत: तालिबान की सरकार होगी।' जी-7 की इस बैठक में नेताओं ने अफगानिस्तान के ताजा हालात की चर्चा की।
समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने पीएम जानसन के एक प्रेस बयान का हवाला देते हुए कहा, 'जी-7 की बैठक में आज हमारे बीच जो बातचीत हुई है, उसमें यह राय बनी है कि पश्चिमी देश न केवल वहां से अपने नागरिकों को निकालने में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे बल्कि आने वाले समय में हम तालिबान के साथ कैसे बातचीत करने जा रहे हैं, इस बारे में भी एक रोडमैप बनाने पर सहमति बनी। ऐसा लगता है कि काबुल में अब तालिबान सरकार होगी।'
जी-7 दुनिया के अमीर एवं ताकतवर देशों-अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, जापान और कनाडा शामिल हैं। इस बार की बैठक की अध्यक्षता की जिम्मेदारी ब्रिटेन पर थी। इस बैठक में जॉनसन ने समूह के देशों से अफगानिस्तान के नागरिकों के साथ खड़े होने और मानवीय आधार पर उनकी मदद करने की अपील की। उन्होंने कहा कि अफगान शरणार्थी संकट से निपटने के लिए भी देशों को उपाय करने चाहिए।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि विगत 20 वर्षों में जो उपलब्धि हासिल हुई है उसे और मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए उनका देश मानवीय एवं कूटनीतिक तरीके का इस्तेमाल करना जारी रखेगा। काबुल पर तालिबान का नियंत्रण हो जाने के बाद ब्रिटेन वहां से करीब 6,000 लोगों को निकाल चुका है। ब्रिटेन ने इस देश के लिए अपनी मानवीय मदद पहले ही दोगुना कर चुका है। ब्रिटेन का कहना है कि वह वह सबसे असुरक्षित 20 हजार अफगान नागरिकों के पुनर्स्थापन की व्यवस्था भी करेगा। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि हम 31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं। लेकिन ये तभी संभव होगा जब तालिबान सहयोग करे और जो लोग एयरपोर्ट पहुंचना चाहते हैं उन्हें न रोका जाए और हमारे ऑपरेशन में किसी तरह की रुकावट पैदा न की जाए।