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78 शहरों के स्थानीय नेतृत्व ने एकीकृत और समन्वित स्वास्थ्य नीति को दिया समर्थन
एशिया पेसिफ़िक़ क्षेत्र के 78 शहरों के महापौर और अन्य स्थानीय नेतृत्व और अधिकारियों ने एकीकृत और समन्वित स्वास्थ्य नीति और कार्यक्रम को समर्थन दिया। 12 देशों के 78 शहरों से यह 800 से अधिक स्थानीय नेतृत्व प्रदान कर रहे प्रतिभागी, 7 दिसम्बर 2021 को सम्पन्न हुए 6वें एपीकैट महासम्मेलन में भाग ले रहे थे।
कोविड महामारी में अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ कुंठित हो गयी थीं जो अनुचित रहा क्योंकि अनेक देश, सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में जो भी प्रगति कर रहे थे, वह पलटने के ख़तरे में पड़ गयी।उदाहरण के रूप में बच्चों के टीकाकरण में अवांछित गिरावट आयी जो अत्यंत गम्भीर है क्योंकि आने वाले सालों में उन रोगों का सामना कर पड़ सकता है जिनसे वैक्सीन के ज़रिए बचाव मुमकिन था। कोविड वैक्सीन के साथ-साथ अन्य सभी रोगों के ख़िलाफ़ टीकाकरण कार्यक्रम भी मज़बूती से चलें जिससे कि कोई भी ऐसी बीमारी से न गुजरे जिससे बचाव मुमकिन था।
उसी तरह सरकार कैन्सर, हृदय रोग, पक्षाघात, मधुमेह, टीबी आदि रोगों के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए समर्पित है। कोविड के दौरान भी यह सभी स्वास्थ्य सेवाएँ कुप्रभावित हुई थीं। तम्बाकू नियंत्रण यदि मज़बूती से नहीं होगा तो तम्बाकू सेवन इन सभी रोगों को महामारी बना एक चुनौती पेश करता रहेगा। तम्बाकू से होने वाले रोगों और मृत्यु से पूर्णत: बचाव मुमकिन है तो क्यों तम्बाकू जनित रोग महामारी बन एक वीभत्स चुनौती बने हुए हैं?
इंडोनेशिया के बोगोर शहर के महापौर डॉ बीमा आर्य सुगीआर्तो ने कहा कि इसीलिए उन्होंने बोगोर में कोविड महामारी के दौरान भी तम्बाकू नियंत्रण को शिथिल नहीं पड़ने दिया वरन उच्च प्राथमिकता पर तम्बाकू नियंत्रण तेज किया। बोगोर शहर की कोविड नियंत्रण संदेशों में तम्बाकू सेवन-बंदी शामिल है क्योंकि कोविड के गम्भीर परिणाम झेलने वाले लोगों में अधिकांश धूम्रपानी थे।
इंटरनैशनल यूनीयन अगेन्स्ट टीबी एंड लंग डिसीज के तम्बाकू नियंत्रण निदेशक डॉ गान क्वान ने कहा कि एशिया पेसिफ़िक क्षेत्र को देशों के राष्ट्रीय क़ानून में ऐसी नीतियाँ शामिल करनी चाहिए जिससे कि तम्बाकू उद्योग के जन स्वास्थ्य नीति में हस्तक्षेप पर रोक लग सके। 180 से अधिक देशों ने वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को पारित करके यह संदेश पहले ही दे दिया है कि वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि के आर्टिकल 5.3 के अनुरूप वह तम्बाकू उद्योग को जन स्वास्थ्य नीति में हस्तक्षेप नहीं करने दे सकते।
द यूनीयन के एशिया पेसिफ़िक क्षेत्र के निदेशक डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा सिर्फ़ स्वास्थ्य विभाग ही नहीं बल्कि हर सरकारी और अन्य वर्गों की भी साझी ज़िम्मेदारी है। जन स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए राजनीतिक निर्णय यदि होंगे तो ही हर इंसान की स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा हो सकेगी और हम सब वर्तमान की महामारी और भविष्य में आने वाली महामारियों से भी बेहतर निबट सकेंगे।
ग़ैर बराबरी कैसे लोगों और समुदाय को स्वास्थ्य सेवा से वंचित करती है यह कोविड महामारी में भी देखने को मिला। इसीलिए द यूनीयन के वैश्विक अध्यक्ष डॉ गाय मार्क्स ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार ऐसे होना चाहिए कि वह सब तक पहुँच रही हों और कोई भी उनसे वंचित न रहे, ख़ासकर कि वह लोग या समुदाय जो समाज के हाशिये पर हों। जन स्वास्थ्य चुनौती जटिल तो है पर इसका समाधान हमारे राजनीतिक नीति निर्माताओं के पास ही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की डॉ श्वेतलाना ने कहा कि कोविड और तम्बाकू से होने वाले ग़ैर संक्रामक रोग, एक नहीं दोहरी महामारी की चुनौती प्रस्तुत करते हैं। यह चुनौती किसी एक विभाग या देश से नहीं निबटेगी बल्कि सबके लिए प्रभावकारी स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना तभी पूरा होगा जब सभी वर्ग एकजुट होंगे।
स्थानीय नेताओं ने घोषणापत्र पारित किया
· 78 शहरों के स्थानीय नेतृत्व ने घोषणापत्र पारित किया कि एकीकृत और समन्वित स्वास्थ्य नीतियाँ और कार्यक्रम मज़बूत हों। इस घोषणापत्र के महत्वपूर्ण बिंदु रहे:
· तम्बाकू नियंत्रण मज़बूत हो जिससे कि लोग तम्बाकू जनित रोगों की चपेट में न आएँ और कोविड के गम्भीर परिणाम से भी बच सकें।
· कोविड के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ भी प्राथमिकता पाएँ और सक्रिय रहें। टीबी सेवाएँ हो या ग़ैर संक्रामक रोगों की रोकथाम, उपचार और प्रबंधन सम्बंधित सेवाएँ सभी सक्रिय रहें और मज़बूत हों जिससे कि सभी देश सतत विकास लक्ष्य की ओर अग्रसर होते रहें।
· जिन उद्योगों ने अपने ख़तरनाक उत्पाद के बारे में जानते हुए जनता के स्वास्थ्य और विकास का बेड़ा गर्ग किया है और उद्योगों की लूट और मुनाफ़ाखोरी को प्राथमिकता दी, उन उद्योगों को सरकारें स्वास्थ्य और विकास नीतियों में हस्तक्षेप न करने दें। न उनसे कोई दान लें न ही किसी भी और रूप में कोई मदद बल्कि सरकारों को ऐसे उद्योगों को जवाबदेह ठहराना चाहिए। तम्बाकू, शराब, बड़े उद्योग के शीतल पेय और फ़ास्ट फ़ूड उद्योग आदि शामिल हैं।
· जो उत्पाद जनता के लिए हानिकारक हैं उनपर कर बढ़ाया जाए जिससे कि युवकों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का व्यय इन पर कम हो, नए लोग इनके नशे में न फँसें और सरकार को अधिक राजस्व आए (जैसे कि तम्बाकू, शराब, बड़े उद्योग के शीतल पेय, फ़ास्ट फ़ूड आदि)
· कोविड टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य सेवा में सामंजस्य और साझेदारी जहां लाभकारी और हितकारी हो वहाँ पूरी तरह से क्रियान्वित हो। जैसे कि जिन रोगों से टीके के ज़रिए बचाव मुमकिन है, उन सबका टीकाकरण कोविड टीके के साथ क्यों नहीं हर किसी को उपलब्ध करवाया जाता है? उल्टे कोविड को प्राथमिकता देते हुए अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम पिछड़ गए जैसे कि, बच्चों के टीकाकरण में भी गिरावट आ गयी है।
· एशिया पेसिफ़िक़ के देशों में वाइरल हेपटाइटिस एक बड़ी चुनौती बना हुआ है जबकि जागरूकता और टीके के ज़रिए इसका दुष्प्रभाव काफ़ी कम किया जा सकता है।
शोभा शुक्ला और बॉबी रमाकांत - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)