- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
माँ ने कहा प्रदूषण ने ली बेटी की जान, पहली बार किसी कोर्ट ने लिया संज्ञान!
नौ वर्षीय एल्ला कीसी देबराह की लंदन में वर्ष 2013 में तेज अस्थमा दौरे व सांस की तकलीफ के कारण मृत्यु हो गई। देबराह के घर के पास लगातार तीन वर्षो तक वायु प्रदूषण लंदन के निर्धारित मानकों से ज्यादा था, यानि वायु प्रदूषण ही मृत्यु का संभावित कारण है।
मृतक की माता रोजमंड एल्ला ने यूके के हाई कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर की है, जिसमें वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु होने पर सरकार की विफलता को दर्शाया गया है। यह विश्व का पहला मामला है जब यूके हाई कोर्ट ने प्रदूषण के कारण मृत्यु पर मामले का संज्ञान लिया है। 30 नवंबर से अब इस पर सुनवाई शुरू होगी।
इस सुनवाई के दौरान यह तय किया जाएगा कि क्या वायु प्रदूषण ही एल्ला कीसी देबराह की मृत्यु का कारण था या फिर कुछ और। साथ ही सुनवाई में कोर्ट विचार करेगा कि क्या स्थानीय सरकार वायु प्रदूषण स्तर को कम करने में पूरी तरह विफल रही। यह मामला अब यूके व यूरोप में हुई कई अन्य मौतों के मामलों में भी समान कारकों (वायु प्रदूषण) के कारण न्यायालय में विचारणीय तथ्य पेश करेगा।
मालूम हो कि एल्ला किसी देबराह को 27 बार अस्पताल जाना पड़ा था, जब उसे सांस लेने में भारी तकलीफ हो रही थी। मरीज को दौरा भी पड़ा था। उसे सांस लेने में भारी तकलीफ थी और अस्थमा भी था। कोर्ट यह भी देखेगी कि उसकी बीमारी के दौरान क्या प्रदूषण स्तर को सही ढंग से मापा गया था या नहीं।
परिवार की लीगल टीम ने इस केस को हाई कोर्ट द्वारा खोलने के लिए वायु प्रदूषण को आधार बनाया है। इसमें संदेह नहीं कि यह केस दुनिया को एक नई राह दिखाएगा और वायु प्रदूषण की गंभीरता के प्रति भी लोगों को जागरूक करेगा।