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आतंकी मसूद अजहर को फिर चीन का मिला साथ, वैश्विक आतंकी घोषित करने से इनकार
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आत्मघाती हमले की चीन ने निंदा तो की है लेकिन इस हमले में शामिल आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का साथ नहीं छोड़ा है। चीन भारत के संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के तहत अजहर को वैश्विक आतंकी सूची में डालने के प्रयासों को लगातार विफल करता रहा है। इस जघन्य आतंकी हमले के बाद भी पेइचिंग ने अजहर का ही साथ देते रहने का फैसला किया है और भारत की अपील का साथ देने से फिर से इनकार किया है। बता दें कि पुलवामा आत्मघाती आतंकी हमले में CRPF के 38 जवान शहीद हुए हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने शुक्रवार को कहा, 'चीन को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले की जानकारी मिली है। हमें इस हमले से स्तब्ध हैं। हम शहीदों के परिवारवालों के प्रति संवेदना जताते हैं। हम किसी भी प्रकार के आतंकवाद की निंदा करते हैं। हमें उम्मीद है कि इस क्षेत्र के देश आतंकी खतरे से निपटने के लिए आपसी सहयोग करेंगे और क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता को बनाए रखेंगे।'
शुआंग से जब अजहर को वैश्विक आतंकियों की सूची में डालने के बारे में जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'जहां तक इस मुद्दे के लिस्टिंग का सवाल है, मैं आपको कह सकता हूं कि सुरक्षा परिषद की 1267 कमिटी ने लिस्टिंग और आतंकी संगठनों पर अपनी प्रक्रिया और शर्तें साफ कर दी हैं। जैश-ए-मोहम्मद को सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची मैं शामिल किया गया है। चीन इस मसले का जिम्मेदारपूर्ण तरीके से हैंडल करना जारी रखेगा।'
अजहर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने की मांग करते हुए भारत ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों से जैश-ए-मोहम्मद चीफ अजहर समेत आतंकियों की लिस्ट के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 सैंक्शंस कमिटी के तहत आतंकी घोषित करने के लिए समर्थन देने की फिर अपील करते हैं। हम पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों से संचालित आतंकी संगठनों को भी बैन करने की मांग करते हैं।' लेकिन UNSC का स्थायी सदस्य चीन ने भारत की इस मांग को समर्थन देने से फिर से इनकार किया है।
पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर अजहर मामले को उठाए जाने की संभावना बढ़ी है। सरकार की तरफ से यह पहली प्रतिक्रिया हो सकती है। मसूद अजहर ही नहीं, उसके भाई अब्दुल रउफ असगर को भी आतंकी लीडर के तौर पर शामिल किया गया है। जैश-ए-मोहम्मद को 1267 कमिटी के द्वारा गैरकानूनी करार दिया गया है लेकिन अजहर अभी इसके दायरे से बाहर है। वुहान समिट के बाद जैश आतंकी मसूद अजहर पर एक साल तक शांत रहे भारत का रुख अब बदल सकता है।