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इमरान को बड़ा झटका, FATF की 'ग्रे लिस्ट' में ही रहेगा पाकिस्तान, ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए अक्टूबर तक वक्त
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मुंह की खाने के बाद FATF (Financial Action Task Force) में भी पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है. FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा है. FATF ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट नहीं किया है और उसे अक्टूबर तक आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. पुलवामा आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान से सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (MFN) का दर्जा वापस लेने के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकी संपर्कों का खुलासा करने और उसे ब्लैकलिस्ट करने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को डोजियर सौंपा था.
भारतीय अधिकारियों ने बताया था, एफएटीएफ की अगली मीटिंग में भारत पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने के लिए दबाव बनाएगा, लेकिन पेरिस में शुक्रवार को हुई बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखने का निर्णय लिया गया.
क्या होता है ब्लैकलिस्ट में डालने का मतलब
एफएटीएफ (FATF) की ब्लैक लिस्ट में डाले जाने का मतलब है कि वह देश आतंकवाद के वित्त पोषण और धन शोधन को रोकने के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सहयोग नहीं कर रहा है. अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट में शामिल हो जाता तो उसे आईएमएफ (IMF), विश्व बैंक (World BAnk), एडीबी (ADB), ईयू (EU) जैसे वैश्विक संस्थाओं से मदद मिलना मुश्किल हो जाता.
ग्रे लिस्ट में बरकरार पाकिस्तान
फरवरी, 2018 में ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट की निगरानी सूची में डाला गया था, जिसका भारत ने स्वागत किया था. यह निगरानी आतंकवाद के वित्त पोषण और धन शोधन को रोकने के मामले में पर्याप्त रूप से ठोस कार्रवाई नहीं करने पर की जाती है. एफएटीएफ ने 30 जून को औपचारिक रूप से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था और इसे धनशोधन और आतंकवाद विरोधी वित्त व्यवस्था पर काबू पाने में कमियों से जूझता हुआ देश बताया था.
क्या है एफएटीएफ (FATF)
1989 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग जैसे खतरों से बचाने के लिए दुनिया के 37 देशों ने मिलकर इसका गठन किया था. यह वैश्विक आंतकी संगठनों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के लिए प्रहरी के रूप में काम करने वाला संगठन है.