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कराची प्लेन क्रैश : लैंडिंग से बस 60 सेकंड पहले पायलट की आखिरी कॉल, 'हमारे इंजन खराब हो चुके हैं'...

Arun Mishra
22 May 2020 8:54 PM IST
कराची प्लेन क्रैश : लैंडिंग से बस 60 सेकंड पहले पायलट की आखिरी कॉल, हमारे इंजन खराब हो चुके हैं...
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Airport पर लैंडिंग से कुछ वक्त पहले ही क्रश हुए लाहौर से आए प्लेन के पायलट Sajjad Gul की कंट्रोल रूम से बातचीत का ऑडियो सामने आया है

पाकिस्तान में शुक्रवार की दोपहर भयानक तबाही और दिल दहला देने वाला मंजर लेकर आई। दोपहर के वक्त कराची एयरपोर्ट के पास एक रिहायशी इलाके में एक प्लेन जा गिरा। हादसे के कुछ देर बाद विमान के पायलट सज्जाद गुल की आखिरी डिस्ट्रेस कॉल सामने आई है जिसे सुनकर पता चलता है कि क्रैश से कुछ सेकंड पहले क्या हुआ था। पायलट ने टूटे हुए सिग्नल के बीच कंट्रोल रूम को इंजन खराब होने की जानकारी दी और कुछ ही पलों में यह दर्दनाक क्रैश हो गया।

लाहौर से कराची आ रहा यह प्लेन जिन्नाह एयरपोर्ट पर लैंड होना था। सामने आए पायलट और कंट्रोल के बातचीत के ऑडियो में पता चलता है कि कुछ ही पलों में कैसे जिंदगी और मौत का फैसला हो गया। टूटे-फूटे सिग्नल्स के बीच ऑडियो में कुछ इस तरह की बातचीत सुनाई दे रही है-

पायलट: हमारे इंजन खराब हो चुके हैं।

कंट्रोल रूम: क्या आप बेली-लैंडिंग के लिए तैयार हैं? 2:05 पर दोनों रनवे लैंडिंग के लिए उपलब्ध हैं।

पायलट: मेडे..मेडे...मेडे...

इसके कुछ ही देर बाद प्लेन क्रैश हो गया। PIA के CEO ने आधिकारिक बयान में बताया है कि पायलट ने तकनीकी खराबी की सूचना दी थी। पायलट को बताया गया कि दोनों रनवे लैंडिंग के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि क्या तकनीकी खराबी थी इस बारे में अभी नहीं पता है।



'मेडे' का मतलब क्या?

रेडियो संपर्क के दौरान डिस्ट्रेस कॉल यानी मुसीबत में होने की जानकारी देने के लिए 'Mayday' का इस्तेमाल किया जाता है। यह ऐसी परिस्थिति में इस्तेमाल किया जाता है जब जान को खतरा बन आया हो। अपनी जान को खतरा होने की स्थिति में रेडियो के जरिए तीन बार Mayday बोलकर कंट्रोल रूम को सूचना दी जाती है कि स्थिति खराब है। दरअसल, यह फ्रेंच शब्द m'aider से निकला है जिसका मतलब है 'मेरी मदद करो।'

क्या होती है बेली-लैंडिंग?

प्लेन के लैंड होने के लिए उसके निचले हिस्से में लैंडिंग गियर लगे होते हैं। उनके खुलने के साथ ही प्लेन उनके सहारे रनवे पर लैंड करता है। हालांकि, गियर के न खुलने की स्थिति में प्लेन के निचले हिस्से के सहारे ही लैंडिंग की कोशिश की जाती है ताकि वह एकदम से जमीन पर क्रैश होकर न गिर जाए। कराची क्रैश के केस में भी ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि प्लेन के लैंडिंग गियर खुल नहीं सके और यह मकानों पर जा गिरा। फिलहाल इस बारे में आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है।

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