- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राष्ट्रीय
- /
- अंतर्राष्ट्रीय
- /
- रजब तैयब एर्दोगान की...
वाहिद नसीम
वर्ल्ड जियो पॉलिटिक्स की धुरी का घुमाव और रज़ब तैयब ओर्दोगान की विजय! अब क्या होगा।इस तुर्की के चुनाव दुनिया भर में इतने महत्वपूर्ण क्यों थे! रजब तैयब ओर्दोगन और उनके विरुद्ध चुनाव लड़ने वाले गठबंधन के बीच चुनाव मात्र नहीं था! अपितु यह दो विचारधाराओं के बीच चुनाव हुआ, पहली विचारधारा जो रूस और चीन के साथ संतुलित विदेश नीति का पालन करने और इस्लामिक जगत को रिप्रेजेंट करने वाला विचार था! और दूसरी तरफ गठबंधन तुर्की की सरकार को अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर अतातुर्क की पश्चिमी खुली और इस्लाम की मान्यताओं के खिलाफ अति खुले प्रदर्शन वाली विचारधारा चुनाव लड़ रही थी, यह जीत सिर्फ इस्लाम वादियों की जीत नहीं है बल्कि यह अगली सुपर पावर जो रूस की तरफ क्लियर हो चुकी है और जो पुतिन की मुस्लिम जगत के साथ एक मजबूत गठजोड़ बना कर चीन के सहयोग से यूरेशिया को यूरोपियन यूनियन और अमेरिका से आगे ले जाने की कविषों की जीत हुई है! पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति मिलकर एक बार फिर तुर्की को वर्ल्ड व्यापार का सेंटर पॉइंट बनाने की तरफ बढ़ने के इशारे बधाई संदेश में ही दे चुके हैं, ज्ञात रहे यूरोपीयन यूनियन में पूर्ण रूप से शामिल होने की ख्वाहिश रखने वाले अतातुर्क का तुर्की जो आज इन सभी देशों में सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति है वह पूर्ण रूप से चीन और उसके साथ मिलकर काम करेगा क्योंकि पिछले कार्यकाल में सभी दबाव के बावजूद तुर्की ने रूस और चीन पर कोई पाबंदी नहीं लगाई!
रजब तैयब ओर्दोगन हार जाता तो क्या होता?
रजब तैयब ओर्दोगन अगर हार जाते तो यूक्रेन युद्ध में रूस को इसका कुछ नुकसान जरूर होता मगर रूस का सबसे बड़ा नुकसान रूस द्वारा तैयार किया गया तुर्की को लेकर बड़ा सपना ज़मींदोज़ हो जाता रूस का मुख्य टारगेट दुनिया में एक बार फिर व्यापार का बड़ा सेंटर तुर्की को बनाना है जहां गैस और तेल की विश्वव्यापी मंडी जल्द ही स्थापित कर दी जाएगी और यूरोप को यहां से सप्लाई लेना मजबूरी होगा दूसरी तरफ चीन सीरिया के अंदलीब् में वस्तु व्यापार का विश्व सेंटर बनाने का सपना भी खतरे में पड़ जाता!
रजब तैयब ओर्दोगन अगर हार जाते तो मुस्लिम जगत का जो सबसे बड़ा नुकसान होता वह यह था कि रूस और चीन की कोशिशों के बाद सऊदी अरब और ईरान को एक प्लेटफार्म पर लाकर मुसलमानों के सारे झगड़े खत्म करवाने का जो लाभ मिलना था वह सऊदी अरब और ईरान के धार्मिक पावर संतुलन के बंटवारे को लेकर विवादों में उलझ जाता ! और कारण बनता ईरान का लगभग परमाणु संपन्न हो जाना और सऊदी अरब का सैन्य मोर्चे पर थोड़ा कमजोर पड़ जाना! यहां पावर संतुलन की मांग जरूर उठती मगर क्योंकि तुर्की दोनों से ज्यादा शक्तिशाली देश है उसके बीच में आने से अब यह विवाद नहीं उठेगा! रजब तैयब ओर्दोगन हार जाता तो तुर्की पश्चिम के साथ मिलकर यूरोपियन यूनियन और नाटो को और मजबूती देता जिसके कारण सदियों से मध्य पूर्व ब्रिटेन और अमेरिकी प्रभाव मैं फिर से जाने पर मजबूर हो जाता और इसका लाभ उठाकर ब्रिटेन और अमेरिका मुस्लिम जगत को ब्लैकमेल करते और एक बार फिर मुस्लिम देशों का गठबंधन पूर्व की तरह प्रभावहीन हो जाता!
रजब तैयब ओर्दोगन की जीत के बाद ब्रिटेन और अमेरिका व इजराइल की भरपूर कोशिशों के बाद की गई द डील ऑफ सेंचुरी का अब कोई अर्थ नहीं रह गया है क्योंकि रूस और चीन द्वारा मुस्लिम जगत को आर्थिक व सैन्य शक्ति मैं भारी मदद की संभावना के चलते सऊदी अरब इजरायल कोड नहीं बचाएगा और इजराइल 1-2 गीदड़ भभकी देने के बाद खामोश बैठकर फैसले की कोशिश करेगा पहले गौलान की पहाड़ियों से खदेड़ा जाएगा और उसके बाद इस देश के नागरिक चुपके से देश छोड़कर भागना शुरू हो जाएंगे।
ज़िंदा कौम के नौजवान
सदर ओर्दोगन जब नौजवानों की एक महफिल को एड्रेस कर रहे थे! तब एक नौजवान लड़की ने खड़े होकर सदर ओर्दोगन से कहा कि मेरे 70 साल के दादा सर्कुलर पार्टी के समर्थक हैं ! उन्होंने मुझे कहा कि आप हमारी पार्टी को ही वोट देना, तब मैंने कहा कि जब इमाम साहफ़इ से पूछा गया, कि हम हक और बातिल की पहचान कैसे करें ? तब इमाम सहाफइ ने कहा उसके तीरों की नोक की तरफ देखना, वह तुम्हें हक की तरफ ले जाएगा। और अब जब हम सारी वेस्टर्न ताकतों को देखते हैं कि इस्लाम फोबिया से ग्रस्त, वह आपको हराना चाहते हैं, तो हम समझ गए हैं कि हक आपकी शक्ल में हमारे सामने है, और मैंने अपना पहला वोट आपको किया है। यह कौम सदियों दुनिया पर राज इस लिए कर गई कि यहाँ के नौजवान भी आधी दुनिया के बुज़ुर्गों से ज़्यदा बा शऊर हैं। उधर सदर ओर्दोगन ने कहा था कि आज कोई नही हारा 85 मिलियन जनता जीती है हमे आज सबको मिलकर काम करना है।
घरों में घुसने वालों को…
खैबर पख्तूनख्वा के लोगों ने ऐलान कर दिया है कि पाक फ़ौज,पुलिस,ISI जो भी उनके घरों में घुसेगा वापस जिंदा नही जायेगा,ज्ञात रहे।पाक आर्मी के बड़े अफसरों की ट्रेनिंग अमेरिकी नापाक फौजी ट्रेनर करवाते हैं। इसी लिए उन्ही की तर्ज़ पर यह फौज भी महिलाओं का एहतराम नही करती और जैसे अमेरिकी आर्मी जिस देश पर हमला करके कब्जा करती है और उसकी महिलाओं और बच्चों पर जुल्म करती है पाक आर्मी कि कई विंग उसी की नकल में अपने ही औरतों और बच्चों पर हमला करते हैं। क्योंकि यह अमेरिका में ट्रेनिंग करते हुए भूल जाते हैं कि यह पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेने आए थे इन्हें बस इतना याद रहता है कि अमेरिका इनका आका है और अब इन्हे पाक देश में जाकर अत्याचार करना है।
रूस ने युक्रेन
जहाँ अब अमेरिकी फौजी ही बचे हैं, आखरी हमले शुरू कर दिए, तुर्की के गृहमंत्री ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों को खत्म करेंगे।तुर्की ने उन अमेरिकी फौजियों को खत्म करने के बाद की है जो सीरिया में इराक में या स्वीडन में। तुर्की के इंटरेस्ट के खिलाफ काम कर रहे हैं।नई सरकार का यह पहला छक्का बाउंड्री के बाहर। जो इस चुनाव के लिए खामोश था अब उसने अपने इरादों का ऐलान कर दिया अगस्त में लॉज़ान संधि समाप्त।लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों पर गंभीर नज़र रखते हैं और अपनी बेबाक़ी के जानें जाते हैं व्यक्त विचार इनके निजी हैं।