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देश समेत दुनियाभर में कोरोना वायरस कोहराम मचा रहा है. इस बीच इजरायल जैसा देश उम्मीद की नई रोशनी लेकर आया. यहां सार्वजनिक स्थानों पर बगैर मास्क के रहने की सरकारी अनुमति मिल गई है और साथ ही स्कूल-कॉलेज भी खुल रहे हैं. हालांकि दफ्तरों में काम करते हुए मास्क लगाना अनिवार्य होगा. इजरायल ने ये कदम अपनी बड़ी आबादी के टीकाकरण के बाद लिया.
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक इजरायल की लगभग 93 लाख की आबादी में अब तक 53 प्रतिशत लोग टीके के दोनों ही डोज ले चुके हैं. इससे वहां कोरोना संक्रमण की दर तेजी से गिरी. इसके बाद ही पूरे सालभर बाद कोरोना प्रोटोकॉल में ढील देने का फैसला किया गया. इसके तहत खुले हुए सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्क, सड़कों पर मास्क लगाना अनिवार्य नहीं. वहीं इनडोर स्थानों पर अब भी मास्क लगाना जरूरी बताया जा रहा है.
इजरायल के महामारी नेशनल कॉर्डिनेटर नचमन ऐश ने रविवार को पब्लिक रेडियो पर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि देश में मई से विदेशी सैलानी और व्यापारियों के आने का रास्ता खोल दिया जाएगा. हालांकि किसी भी विदेशी की एंट्री तभी मिलेगी, जब वो कोरोना की दोनों डोज ले चुका हो. इससे देश का इकनॉमी भी वापस पटरी पर लौट सकेगी.
वहां की सरकार इसे कैलकुलेटेड रिस्क यानी सोच-समझकर लिया गया खतरा बता रही है ताकि आकलन किया जा सके कि क्या वाकई अब वहां मास्क आदि की जरूरत नहीं. अगर ऐसा होता है तो इजरायल आधिकारिक तौर पर दुनिया का पहला देश बन जाएगा, जहां टीकाकरण के कारण कोरोना पर काबू पाया जा सके. बीच-बीच में हालांकि न्यूजीलैंड भी ऐसा दावा करता है लेकिन वहां दोबारा संक्रमण के मामले आ जाते हैं और सख्ती लागू हो जाती है.
कोरोना महामारी की शुरुआत के साथ इजरायल में भी कोरोना मामले आने लगे. वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक सालभर में देश में 8,36,000 कोरोना संक्रमण के केस दर्ज हुए और कम से कम 6,331 मौतें हुईं. इस बीच इजरायल ने टीका बनते ही फाइजर से करार कर लिया और धड़ाधड़ टीकाकरण अभियान शुरू हुआ. वहां 93 लाख की आबादी में 53 प्रतिशत से ज्यादा लोग वैक्सीन ले चुके हैं.
टीकाकरण अभियान दिसंबर में शुरू हुआ था, जब दुनिया के बहुतेरे देश इसके लिए करार ही कर रहे थे. इससे इजरायल में संक्रमण की दर तेजी से कम होने लगी और धीरे-धीरे यहां व्यावसायिक संस्थान खुलने लगे. जनवरी में वहां रोज लगभग 10 हजार कोरोना केस आ रहे थे, जो मार्च में ही घटकर 200 के आसपास रह गए. इससे सरकार में आत्मविश्वास बढ़ा. अब हाल ही में यहां कोरोना प्रोटोकॉल में से अधिकतर नियम हटा दिए गए हैं ताकि पैटर्न दिख सके.
वैसे इस बीच इजरायल कई बार निशाने पर भी आया. वहां वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी, जिसपर इजरायल का कब्जा है, के लोगों ने भेदभाव की शिकायत की. इन क्षेत्रों के मुताबिक इजरायल वैक्सीन उन तक पहुंचाने में भेदभाव बरत रहा है और पर्याप्त मात्रा में टीकाकरण नहीं हो रहा है