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रूस के खिलाफ वोटिंग में भारत के बार-बार गायब रहने पर बोला अमेरिका, जानिए- क्या आया बयान!
संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में बुधवार को यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया जहां भारत ने पिछली बार की तरह ही वोटिंग से खुद को दूर रखा. अमेरिका ने भारत के इस रुख पर कहा है कि वो भारत को रूसी आक्रमण की आलोचना करने के लिए मना रहा है लेकिन अमेरिका के अब तक के ऐसे सभी प्रयास असफल रहे हैं.
अमेरिका के असिस्टेंट स्टेट सेक्रटरी डोनल्ड लू ने विदेश संबंध समिति के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान करने के लिए अमेरिका भारत को मनाने का काम कर रहा है, लेकिन भारत ने कई बार हुई वोटिंग से खुद को दूर रखा है. लू ने कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि हम सभी भारत से स्पष्ट रुख अपनाने, रूस की कार्रवाई के खिलाफ स्टैंड लेने का आग्रह करने के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन हमने अब तक क्या देखा है? हमने कई बार भारत को वोटिंग से परहेज करते ही देखा है.'
भारत के अखंडता वाले बयान का ये मतलब निकाल रहा अमेरिका
भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में बिना किसी देश का नाम लिए कहा था कि सभी देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करना चाहिए.
डोनल्ड लू ने भारत के इस संतुलित बयान पर कहा, 'हमने पिछले कुछ दिनों में एक दिलचस्प प्रगति देखी है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने सभी देशों से अन्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने का आह्वान किया. भारत का ये संदेश रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र चार्टर और यूक्रेन की संप्रभुता के उल्लंघन का एक बहुत स्पष्ट संदर्भ है.' लू ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी यूक्रेन को लेकर भारतीय समकक्षों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'भारत ने यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश करते समय दो चीजों पर ध्यान केंद्रित किया है. एक ये कि वो इस संघर्ष का राजनयिक समाधान चाहता है. और दूसरी बात जिस पर वे जोर दे रहा है, वो ये है कि भारत में अभी भी यूक्रेन में 18 हजार छात्र हैं. भारत छात्रों की सुरक्षा के लिए यूक्रेन और रूस दोनों सरकारों के साथ काम करने की कोशिश कर रहा है.'
यूक्रेन को भारत से मानवीय मदद दिए जाने पर भी बोले अमेरिकी राजनयिक
अमेरिकी राजनयिक ने भारत द्वारा यूक्रेन को मानवीय मदद दिए जाने पर कहा, 'भारत सरकार ने कहा है कि वो भारत से यूक्रेन के लिए मानवीय मदद भेजेगी. ये महत्वपूर्ण बात है. यूक्रेन का नेतृत्व भारत से अनुरोध कर रहा है और भारत यूक्रेन को ये मदद भेज रहा है.' उन्होंने आगे कहा, 'दूसरी बात, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में कहा कि सभी देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करना चाहिए. यह रूस की आलोचना नहीं थी, बल्कि रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन और यूक्रेन की संप्रभुता के उल्लंघन के संदर्भ में दिया गया स्पष्ट संदेश था.' बुधवार को 193 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव को 141 देशों का समर्थन मिला और पांच देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान कर रूस का समर्थन किया. इस वोटिंग के दौरान 35 सदस्य अनुपस्थित रहे जिसमें भारत भी शामिल था. प्रस्ताव को पास होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी और ये पास हो गया.
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि है भारत यूक्रेन की तेजी से बिगड़ती स्थिति और उसके बाद आने वाले मानवीय संकट को लेकर काफी चिंतित है. उन्होंने कहा, 'हम अपने इस विश्वास पर कायम हैं कि मतभेदों को केवल बातचीत और कूटनीति से ही सुलझाया जा सकता है. भारत तत्काल युद्धविराम के अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के आह्वान का समर्थन करता है.'
भारत-रूस रक्षा खरीद पर क्या बोले अमेरिकी राजनयिक
भारत ने रूस से 5 अरब डॉलर की एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद की है. इस रक्षा खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका के बीच मिसाइलों की डिलीवरी भारत को शुरू हो गई है. अमेरिका रूस से बड़ी रक्षा खरीद करने वाले देशों पर कानून CAATSA के तहत कड़े प्रतिबंध लगाता है. एस-400 डील को लेकर अमेरिका ने कई बार भारत को चेताया था. भारत को भी प्रतिबंध लगने की आशंका है लेकिन अभी तक अमेरिका की तरफ से CAATSA के तहत भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
अब जबकि, भारत यूक्रेन में रूसी हमले के खिलाफ नहीं बोल रहा और अमेरिका का साथ भी नहीं दे रहा तो एक बार फिर से प्रतिबंधों को लेकर बातें होने लगी हैं. इस पर बोलते हुए डोनल्ड लू ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन ने अब तक भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाने का फैसला नहीं किया है. उन्होंने कहा, 'मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि प्रशासन CAATSA कानून का पालन करेगा और उस कानून को पूरी तरह से लागू करेगा. सांसदों से परामर्श के बाद ही हम इस पर आगे बढ़ेंगे. फिलहाल मैं ये नहीं बता सकता कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का अमेरिका के अभी तक के निर्णय पर असर पड़ेगा या नहीं.'