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रमजान में सऊदी अरब की मस्जिदें बंद लेकिन पाकिस्तान में खुली रहेंगी?
कोरोना महामारी के बीच अब पाकिस्तान का अल्लाह ही मालिक है। प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान में कोई अहमियत नहीं बची है। सरकार ने कट्टरपंथी मौलानाओं के आगे घुटने टेक दिये हैं। सऊदी अरब में मक्का-मदीना तक की मस्जिदें बंद कर दी गयीं हैं और सामुहिक नमाज रद्द कर दी गयी हैं। सऊदी अरब के रमजान के दिनों में भी घर में ही नमाज पढ़ेंगे। सहरी और इफ्तार भी घरों पर ही करेंगे लेकिन पाकिस्तान में रमजान के दौरान मस्जिदों में सामूहिक नमाज न पढ़ने के सरकार के फरमान फाड़ कर कचरे के डिब्बों में फेंक दिये गये हैं।
सरकार की इज्जत बचाने के लिए खुद राष्ट्रपति आरिफ अलवी को आना पड़ा। उन्होंने पाकिस्तान के मौलानाओं को बुलाकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की लेकिन कोशिश नाकाम रही। आखिर में नाक बचाने के लिए कथित तौर पर बीस शर्तों के साथ सामुहिक नमाज पढ़ने और मस्जिदें खोलने की इजाजत देदी गयी। इन बीस शर्तो में यह शामिल है कि मस्जिद में हर नमाज से पहले धुलाई होगी और कालीन या चटाई नहीं बिछाई जाएगी। लोग घरों से नमाज पढ़ने वाली
अपनी चटाई-कालीन लेकर आएंगे। मस्जिदों में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन किया जाएगा। नमाज या तरावीह के बाद किसी तरह का जमावड़ा नहीं लगाया जाएगा। पचास साल से अधिक आयु के लोगों और बच्चों का मस्जिदों में आने पर रोक रहेगी। तरावीह की नमाज सड़क या फुटपाथ आदि पर न पढ़कर केवल मस्जिद में पढ़ी जाएगी। मस्जिद के फर्श को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार सैनिटाइज किया जाएगा।
शर्तो में तय हुआ है कि सामूहिक नमाज के दौरान नमाजियों के बीच कम से कम छह फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी। मस्जिद में कोई सहरी या इफ्तार का आयोजन नहीं होगा। लोगों को फेस मास्क पहनना होगा और हाथ नहीं मिलाना होगा। इन बीस शर्तों इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि शर्तों के तोड़ने और सोशल डिस्टेंसिंग की मॉनेटरिंग कौन करेगा और शर्तो को न मानने पर क्या सजा दी जायेगी।