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आत्मनिर्भर भारत का अर्थ दरवाजे बंद करना नहीं, बल्कि दरवाजों को पूरी तरह खोल देना है": पीयूष गोयल
पीआईबी, नई दिल्ली:पीयूष गोयल ने आईसीआरआईईआर के 13वें अंतर्राष्ट्रीय जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया।
पीयूष गोयल ने कहा है कि महामारी ने जी-20 की तमाम प्राथमिकताओं को दोबारा आकार दे दिया है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) के 13वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये गोयल ने कहा कि हमें अपनी प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार, पुनर्कल्पना और पुनर्रचना करते रहना चाहिये तथा यह सोच रखनी चाहिये कि नये जमाने में हम महत्वपूर्ण हितधारक हैं। गोयल ने जी-20 के लिये अधिक समावेशी और समतावादी एजेंडे को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
पीयूष गोयल ने कहा, "अगले चंद वर्षों में हमारे जैसे विकासशील देश संगठन का नेतृत्व करेंगे। अगले वर्ष इंडोनेशिया और उसके बाद भारत इसका नेतृत्व करेगा। यह हमारे लिये बहुत अनोखा मौका है कि हम जी-20 में ज्यादा समावेशी और समतावादी एजेंडे को आगे बढ़ायें। इस 'दशकीय कार्यवाही (डिकेड ऑफ एक्शन)' के दौर मिलकर काम करने से सभी सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में जी-20 केंद्रीय भूमिका निभायेगा। हमें वैश्विक संस्थानों को मजबूत बनाना होगा, जो ज्यादा समावेशी और ज्यादा नुमाइंदगी रखते हैं, जैसे वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन, यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज। हमें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई के सम्बंध में मजबूत इरादा बनाने के लिये समान विचार वाले साझीदारों के साथ आपसी सक्रियता बढ़ानी होगी।" गोयल ने कहा कि महामारी के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जो नेतृत्व किया था, वह दुनिया में बेमिसाल है।
"आज पूरी दुनिया यह समझती है कि एक-दूसरे से जुड़े और एक-दूसरे पर निर्भर संसार में, कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है, जब तक सभी सुरक्षित नहीं हो जाते। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये इस समय सबसे ज्यादा जरूरत वैश्विक आर्थिक सहयोग की है। इसे संभव बनाने का हम सबका समान दायित्व है। एक तरफ महामारी से निपटना हमारी अनिवार्यता है, तो दूसरी ओर यह भी सुनिश्चित करना है कि सबको टीके लग जायें, चाहे वह अमीर हो या गरीब, सभी देशों के लोगों का टीकाकरण हो जाये, दुनिया के सभी नागरिकों का। इसके अलावा कोविड-19 का इलाज खोजने के गंभीर शोध की भी जरूरत है।"
उन्होंने कहा, "भारत ने, बेशक, इस महामारी से निपटने में बड़ी होशियारी से काम किया और सबको दिखा दिया कि कैसे इसका मुकाबला करना है। इसमें पहली लहर भी शामिल थी, जिसमें हमने अपनी तैयारी की। हमने इस संकट को अवसर में बदल दिया और अपनी आर्थिक नीति में नये-नये तत्व जोड़ दिये, जैसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज। हमने जांच को 2500 प्रतिदिन से बढ़ाकर तीस लाख प्रतिदिन तक कर दिया। पहले हमारे यहां पीपीई बिलकुल नहीं बनती थी, लेकिन आज हम पीपीई के निर्माण में विश्व के दूसरे सबसे बड़े देश बन चुके हैं। हमने आईसीयू में बिस्तर बढ़ायें, ऑक्सीजन की व्यवस्था बढ़ाई और कुशल श्रमशक्ति को और प्रशिक्षित किया। तमाम तरह के मोर्चों पर भारत ने रास्ता दिखाया।"