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Sri Lanka crisis: आर्थिक संकट और हिंसा के बीच श्रीलंका के PM महिंदा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा, पूरे देश में लगाया गया है कर्फ्यू
Sri Lanka crisis: श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश में इमरजेंसी लागू है। श्रीलंका में इमरजेंसी के बीच अब राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है। इस बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया है।
इस्तीफे से पहले राजपक्षे ने जनता से संयम बरतने की और यह याद रखने की अपील की कि हिंसा से केवल हिंसा ही बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक संकट के आर्थिक समाधान की जरूरत है जिसके लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है। राजपक्षे ने ट्वीट किया कि श्रीलंका में भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है, ऐसे में मैं आम जनता से संयम बरतने और यह याद रखने की अपील करता हूं कि हिंसा से केवल हिंसा फैलेगी। आर्थिक संकट में हमें आर्थिक समाधान की जरूरत है जिसे यह प्रशासन हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले श्रीलंका में आज पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया। सरकार समर्थक समूहों द्वारा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद राजधानी कोलंबो में सेना के जवानों को तैनात किया गया है। इस हमले में कम से कम 23 लोग घायल हो गए। शुक्रवार को राष्ट्रपति राजपक्षे ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी। यह दूसरी बार है जब श्रीलंका में लगभग एक महीने की अवधि में आपातकाल घोषित किया गया।
श्रीलंका में लागू है इमरजेंसी
श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर बढ़ते विरोध-प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 6 मई को देश में इमरजेंसी लगाने का ऐलान कर दिया था. गोटबाया राजपक्षे ने देश में बिगड़ते हालात के बीच इमरजेंसी लगाने का फैसला लिया था. श्रीलंका में जब इमरजेंसी लगाने का फैसला लिया गया, बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे. हजारों की तादाद में छात्र सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 4 अप्रैल को भी इमरजेंसी लगाई गई थी.
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. महंगाई बेतहाशा बढ़ी है. बद से बदतर होते हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक अंडे के लिए लोगों को 30 और आलू के लिए 380 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. हालात इतने बिगड़ गए कि पेट्रोल पंपों पर सेना की तैनाती करनी पड़ी थी. खाने-पीने की चीजों के साथ ही देश में कागज की भी किल्लत हो गई है जिसकी वजह से परीक्षा कराना भी सरकार के लिए चुनौती साबित हो रही है.