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यूक्रेन युद्ध और बढ़ती महंगाई के कारण बहुत से जर्मन लोग इस बात को लेकर चिंतित है कि उनका जीवन स्तर गिर सकता है. इसकी सबसे ज्यादा मार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर पड़ेगी.बर्लिन के सबसे चहल-पहल वाले इलाके में घूमते हुए आपको अहसास ही नहीं होगा कि महंगाई बढ़ रही है, आम जरूरत की चीजों के दाम चढ़ रहे हैं और दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप का सबसे बड़ा युद्ध यहां से बहुत दूर नहीं लड़ा जा रहा है. बार और रेस्तरां भरे हुए हैं और क्लबों के आगे लंबी लाइनें हैं. स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि सैलानी भी गर्मी के इस सुंदर मौसम का पूरा लुत्फ लेना चाहते हैं. जर्मन के लोगो का कहना है की हर चीज के दाम बढ़ रहे हैं. हर चीज जो भी हम यहां इस्तेमाल कर रहे हैं, वह महंगी हो रही है, जैसे कि पेपर कप, कार्डबोर्ड और वह बैग भी जिसमें हम कॉफी रखते हैं. सब कुछ.
जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय का कहना है कि एक साल पहले से तुलना करें तो जर्मनी की मुद्रास्फीति दर अभी लगभग 8 प्रतिशत चल रही है. आम लोगों के इस्तेमाल के लिए बिजली और गैस के दामों में 38 फीसदी वृद्धि हुई है तो खाने-पीने की चीजों के दाम 11 प्रतिशत बढ़ गए हैं. जर्मन आर्थिक शोध संस्थान में सीनियर रिसर्चर मार्कुस ग्राबका कहते हैं, "बेशक मौजूदा संकट के दुष्परिणाम सीधे तौर पर महसूस किए जा रहे हैं, खासकर कम आमदनी वाले परिवारों में, जिनके लिए ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से निपटना मुश्किल हो रहा है, मध्यम और उच्च आय वर्ग वाले परिवारों में उतनी दिक्कत नहीं है." खाने के तेल, आटे, मीट, दूध और अंडे जैसी आम जरूरत की चीजों के दामों में वृद्धि दर भी दो अंकों में पहुंच रही है. बीमा कंपनी एलियांस ट्रेड के एक अध्ययन में पता चला है कि जर्मनी में इस साल प्रति व्यक्ति खाने की लागत 250 यूरो ज्यादा रहेगी. इससे उन लोगों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा जो पहले ही मुश्किल से गुजारा कर रहे थे. जर्मनी में 5.6 लाख रिटायर्ड लोगों को सरकारी मदद की जरूरत है क्योंकि उनकी पेंशन इतनी कम है कि वे गरीबी रेखा से ऊपर नहीं उठ सकते. ऐसे में बढ़ती महंगाई उन्हें कहीं ज्यादा परेशान कर रही है.
जर्मनी में सिर्फ 42 प्रतिशत लोगों के पास ही अपना घर है. बाकी लोग किराए पर रहते हैं. बढ़ती महंगाई के बीच अब अपने घर का सपना लोगों से और दूर होगा क्योंकि केंद्रीय बैंक कीमतों पर काबू रखने के लिए होमलोन पर ब्याज दर को बढ़ा रहे हैं. जर्मनी के कई हिस्सों में घरों की किल्लत रही है. जो लोग खरीदने के लिए कोई प्रॉपर्टी ढूंढ लेते थे, उन्हें बहुत ही सस्ती दरों पर लोन मिल जाता था, एक प्रतिशत या उससे भी कम ब्याज दर पर. लेकिन लगता है कि ये बातें अब अतीत बन जाएंगी.
बीते कुछ महीनों में ही होम लोन की ब्याज दरें बढ़कर तीन प्रतिशत तक जा पहुंची हैं. यह कई दशकों में होमलोन की सबसे ऊंची दर है. अर्थशास्त्री इस विषय पर बहस कर रहे हैं कि कीमतें कितनी ऊंची जाएंगी और कब तक ऐसा होगा. वहीं कुछ लोगों को उम्मीद है कि कुछ कीमतें अब स्थिर होने की तरफ बढ़ रही है. लेकिन जोखिम लगातार बना हुआ है, उत्पादकों के लिए भी और रिटेलरों और ग्राहकों के लिए भी. और स्थिति में जल्द सुधार के आसार नहीं दिखते. जर्मनी के वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर कहते हैं, "मेरी चिंता यह है कि हमारे सामने कुछ हफ्तों में या कुछ महीनों में चिंताजनक स्थिति हो सकती है. हमें तीन से चार या फिर शायद पांच साल की किल्लत वाली स्थिति को ध्यान में रखकर समाधान खोजना होगा."