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US-UK और फ्रांस कर रहे हैं चीन से बात, मसूद अजहर के खिलाफ दुनिया ने मिलाया हाथ
वॉशिंगटन : जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकियों की सूची में डालने के प्रयास में अड़ंगा लगा रहे चीन को समझाने की आखिरी कोशिश शुरू हो गई है। अगर वह नहीं मानता है तो तीनों महाशक्ति इस बार निर्णायक लड़ाई के मूड में हैं। मसूद मामले पर सुरक्षा परिषद में ओपन वोटिंग भी कराई जा सकती है। हालांकि, अभी तीनों का प्रयास है कि चीन को कैसे भी मना लिया जाए। सूत्रों का कहना है कि चीन की मांग के मुताबिक मसूद के प्रस्ताव के भाषा में कुछ बदलाव भी किया जा सकता है।
10 साल में चौथी बार है जब चीन ने इस प्रस्ताव को रोका है। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका अजहर के खिलाफ यह प्रस्ताव 27 फरवरी को लाए थे। इस पर आपत्ति की समय सीमा (बुधवार रात 12:30 बजे) खत्म होने से ठीक एक घंटे पहले चीन ने इस पर अड़ंगा लगा दिया। 10 से अधिक देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
चीन ने कहा कि वह बिना सबूतों के कार्रवाई के खिलाफ है। इस पर अमेरिका ने चीन से अनुरोध किया था कि वह समझदारी से काम लें, क्योंकि भारत-पाक में शांति के लिए मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करना जरूरी है।
मसूद को बचाने में जुटे चीन को इस बार सुरक्षा परिषद में ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादातर सदस्य उसके रवैये से हैरान हैं। उनका सवाल है कि चीन आखिर आतंकी सरगना को बचाना क्यों चाहता है? सूत्रों का कहना है कि कुछ सदस्य देशों ने इस मुद्दे पर चीन से निजी तौर पर बात भी की है।
सुरक्षा परिषद के एक राजनयिक ने चीन के रवैये पर निराशा जताते हुए कहा कि अगर इस बार भी वह नहीं मानता है तो मसूद को वैश्विक आतंकी की सूची में डालने के लिए दूसरी रणनीति अपनाई जाएगी।