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कोरोना को लेकर घिरे चीनी राष्ट्रपति ने पहली बार तोड़ी चुप्पी, दिया ये बयान!
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सोमवार से शुरू हुई सालाना बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोरोना महामारी पर अपनी भूमिका पर उठ रहे सवालों के जवाब दिए. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत से लेकर अभी तक हमने पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ काम किया है. जिनपिंग ने कहा कि चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन व संबंधित देशों को सही समय पर हर जानकारी उपलब्ध कराई है.
चीन पर आरोप लगता रहा है कि कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में उसने जानकारियां छिपाईं, जिससे दुनिया भर में संक्रमण फैल गया. कोरोना वायरस की महामारी में चीन की भूमिका को लेकर अमेरिका समेत कई देश स्वतंत्र जांच की भी मांग कर रहे हैं.
शी जिनपिंग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिए गए भाषण में कहा कि वायरस पर काबू पाने के बाद चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगुवाई में कोरोना महामारी में वैश्विक कार्रवाई की समीक्षा का समर्थन करता है. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि वह जांच के लिए तैयार हैं लेकिन यह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से की जानी चाहिए.
चीनी राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस की महामारी को दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट करार दिया और पीड़ित देशों की मदद के लिए दो सालों में 2 अरब डॉलर की धनराशि देने का भी ऐलान किया.
चीन में कोरोना वायरस को लेकर पांच वैक्सीनों का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है. जिनपिंग ने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ चीन में बन रही वैक्सीन तक पूरी दुनिया की पहुंच होगी. शी ने कहा कि अगर चीन में कोरोना की वैक्सीन बनती है तो वह सुनिश्चित करेंगे कि यह विकासशील देशों की पहुंच में भी हो.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की दो दिनों तक चलने वाली सालाना बैठक का सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना वायरस महामारी ही है. भारत समेत 62 देशों ने कोरोना महामारी की उत्पत्ति की जांच वाले प्रस्ताव का समर्थन किया है. भारत की ओर से इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन अगुवाई करेंगे.
जांच का समर्थन करने वाले देशों में भारत के साथ बांग्लादेश, कनाडा, रूस, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके और जापान भी शामिल हैं. WHO की बैठक में पेश होने वाले प्रस्ताव में चीन या वुहान का जिक्र नहीं है लेकिन इसमें मांग की गई है कि वायरस की उत्पत्ति और इसके जानवर से इंसान तक फैलने की जांच की जाए.
सात पन्नों के प्रस्ताव में WHO की भूमिका की भी जांच की बात कही गई है. इस प्रस्ताव को चीन के खिलाफ देखा जा रहा है क्योंकि इससे उसकी जवाबदेही बढ़ेगी.