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ईरानी फिल्मकार जफर पनाही को सजा पूरी करनी ही होगी
दस साल पहले ईरान के मशहूर फिल्म निर्माता जफर पनाही को वहां की न्यायपालिका ने छह साल की सजा सुनाई थी। लेकिन उन्हें जेल नही भेजा गया था। अब अदालत ने आदेश दिया है कि जफर पनाही को अपनी सजा पूरी करनी ही होगी। ईरानी न्यायपालिका के प्रवक्ता मसूद सेतायेशी ने घोषणा की है कि जफर पनाही को अपनी सजा काटनी होगी. ईरान के सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माताओं में से एक माने जाने वाले जफर पनाही को 2010 में छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी. अदालत में उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सरकार विरोधी प्रचार फिल्में बनाई थीं. पिछले कई सालों से 62 वर्षीय जफर पनाही के विदेश जाने पर रोक लगी हुई है. इस सजा के बावजूद पनाही ने अंडरग्राउंड फिल्में बनाना जारी रखा है. उन्होंने अपने उत्कृष्ट निर्देशन के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं. साल 2015 में उन्होंने "टैक्सी" के लिए बर्लिन गोल्डन बियर अवॉर्ड जीता. उन्हें 2000 में ईरान के पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की जिंदगी पर आधारित उनकी फिल्म "द सर्कल" के लिए वेनिस गोल्डन लायन पुरस्कार भी दिया गया था. उनकी हिरासत पर बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव ने कहा है कि वो "निराशा और क्रोध" महसूस कर रहा है.
हॉलीवुड में जब स्वतंत्र फिल्म निर्माता अपने अपने स्टूडियो बना रहे थे, उस समय जर्मन फिल्म निर्माता बर्लिन के ठीक बीच में शूटिंग कर रहे थे. लेकिन गर्म स्पॉटलाइटों की वजह से बार बार आग के अलार्म बजने लगते थे. जब निर्माताओं को शहर से बाहर कोई जगह खोजने के लिए कहा गया तो गुइदो सीबर ने बर्लिन के ठीक बाहर पोट्सडैम-बेबल्सबर्ग में एक जगह चुनी, जहां पहला स्टूडियो 1911 में बना.
ईरान में गरीबी, लैंगिक भेदभाव, हिंसा और सेंसरशिप जैसे विषयों पर पनाही की फिल्मों ने तेहरान सरकार को नाराज किया है और कहा जाता है कि इसलिए उनकी आवाज को दबाने के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए. ईरानी न्यायपालिका द्वारा पनाही की सजा को अमल में लाने की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब इस्लामिक गणराज्य आर्थिक और राजनीतिक दबाव के संदर्भ में आलोचकों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है. पनाही को पिछले हफ्ते ऐसे समय में हिरासत में लिया गया था जब वह अपने साथी फिल्मकार और सरकार के आलोचक मोहम्मद रसूलेफ और मुस्तफा अल-अहमद की हिरासत के बारे में पूछताछ करने अभियोजन पक्ष के कार्यालय गए थे.
इसी महीने इन दोनों को देश के दक्षिण पश्चिम में सरकार द्वारा हिंसक कार्रवाई की सोशल मीडिया में आलोचना करने पर गिरफ्तार कर लिया गया था. इन पर देश की सुरक्षा को कमजोर करने का आरोप लगाया था. पनाही को कुख्यात एविन जेल में रखा गया है, जिस कारण मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने गंभीर चिंता जताई है. उनका कहना है कि सरकार न केवल सिनेमा उद्योग पर अत्याचार कर रही है बल्कि ऐक्टिविस्टों और प्रदर्शनकारियों पर भी नकेल कस रही है.