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लद्दाख में शुरू की गई प्रमुख सड़क परियोजनाओं का निर्माण बीआरओ करेगा
पीआईबी नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और यहां के निवासियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन पर लद्दाख के महामहिम राज्यपाल राधा कृष्ण माथुर ने भारत के सबसे उत्तरी गांव तुरतुक से 05 प्रमुख सड़क अवसंरचना विकास परियोजनाओं का निर्माण शुरू किया। ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में मुख्य कार्यकारी पार्षद लेह ताशी ग्यालसन, सांसद लद्दाख जमयांग त्सेरिंग नामग्याल, रक्षा सचिव अजय कुमार तथा सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी के अलावा आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों ने भी भाग लिया।
लद्दाख प्रशासन और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के बीच दिनांक 3 सितंबर 2021 को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के बाद, पहाड़ी क्षेत्र में कनेक्टिविटी के विकास के लिए सड़कों और सुरंगों के निर्माण/सुधार से संबंधित परियोजनाओं को बीआरओ को सौंपा गया था। आज शुरू की गई 05 परियोजनाओं में ग्रीनफील्ड एलाइनमेंट की तैयारी और प्रमुख सिंगल लेन सड़कों को डबल-लेन (एनएचडीएल विनिर्देश) में अपग्रेड करना और टनलिंग का कार्य शामिल हैं।
हनुथांग-हैंडनब्रोक-जुंगपाल-तुर्तुक सड़क का निर्माण 26.6 किलोमीटर लंबी ग्रीनफील्ड सड़क को हनुथांग-हैंडनब्रोक (सिंधु घाटी) और ज़ुंगपाल-तुर्तुक (श्योक घाटी) के बीच स्टाकपुचन रेंज के बीच अंतर घाटी संपर्क प्रदान करने की योजना है। यह ख़तरनाक खारदुंगला दर्रे को पार किए बिना यात्रा के समय को मौजूदा नौ घंटे से घटाकर साढ़े तीन घंटे कर देगा।
4 प्रमुख सिंगल लेन सड़कों का उन्नयन भी शुरू हो गया है। ये सड़कें हैं, 78 किलोमीटर सड़क खालसे से बटालिक, 50 किलोमीटर सड़क कारगिल से डुमगिल जिसमें कारगिल से बटालिक तक निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करने के लिए हंबोटिंगला में एक सुरंग का निर्माण भी शामिल होगा, 70 किलोमीटर सड़क खालसर से श्योकविया अघम और 31 किलोमीटर तंगसे से लुकुंग तक। इन सभी सड़कों का उपयोग यात्रियों द्वारा बड़े पैमाने पर पर्यटन स्थलों जैसे हुंदर (नुब्रा घाटी), तुर्तुक गांव, श्योक, पैंगोन-सो झील और दाह, गरकोन दारचिक आदि के आर्य गांवों तक पहुंचने के लिए किया जाता है।
माननीय एलजी ने परियोजनाओं को लद्दाख के लोगों को समर्पित किया और विशेष रूप से लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में बीआरओ द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने सड़क के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बीआरओ का आभार व्यक्त किया, जिसने न केवल सेना की सुरक्षा जरूरतों में सहायता की है बल्कि सामाजिक आर्थिक विकास के लिए पर्यटन को प्रोत्साहन दिया है। उन्होंने बीआरओ पर भरोसा जताते हुए कहा कि बीआरओ पहले से ही 5000 किलोमीटर सड़क का रखरखाव कर रहा है और निकट भविष्य में 1500 किलोमीटर और सड़कों का निर्माण करेगा। रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने राष्ट्र निर्माण में बीआरओ के योगदान पर जोर दिया, जिससे दूरदराज के इलाकों में लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने दुर्घटना संभावित स्थलों की पहचान करने और कीमती जीवन बचाने के लिए बीआरओ द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर किए जा रहे विभिन्न नई तकनीकों और सड़क सुरक्षा ऑडिट पर प्रकाश डाला। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी डीजी-बीआरओ ने राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क मैट्रिक्स विकास में संगठन के संकल्प पर बल दिया । उन्होंने जियो-सेल्स, एम 50 ब्लॉक आदि को शामिल करने के लिए नई तकनीकों पर प्रकाश डाला, जिन्हें दुनिया के सबसे ऊंचे वाहन चलाने योग्य पास "उमलिंगला" को शामिल करने के लिए लद्दाख क्षेत्र में ठंडे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल किया गया था