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भारत: दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल दिसंबर 2021 में हो जायेगा पूरा, कुतुब मीनार भी सामने दिखेगा बौना, जानिए क्या है खाशियत
कश्मीर। कश्मीर घाटी को भारतीय रेल नेटवर्क के साथ जोड़ने का सपना दिसंबर 2021 में साकार होगा। कटड़ा-बनिहाल के बीच रियासी में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल आधा तैयार हो जाएगा। अगले साल पुल के तैयार होते ही ट्रेन सीधा कश्मीर जा सकेगी। वर्ष 2002 में उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।
111 किमी लंबे कटड़ा-बनिहाल रेल लिंक में 53.66 किमी लंबे कटड़ा से धरम खंड के फासले पर सबसे चुनौतीपूर्ण काम चल रहा है। यह मार्ग रियासी, मूरी, और पीर पंजाल पहाड़ों के सबसे मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों से गुजरता है।
कोंकण रेलवे के चेयरमैन संजय गुप्ता ने कहा, "रेलवे के 150 साल के लंबे इतिहास में यह सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। कश्मीर को देश के शेष से हिस्सों से जोड़ने वाला दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल दिसंबर 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसे इंजीनियरिंग का चमत्कार भी कह सकते हैं
इसका 46.1 किमी यानी कुल लंबाई का 86 प्रतिशत रास्ता सुरंगों से होकर गुजरता है, जबकि 4.6 किमी यानी 8.6 प्रतिशत का रास्ता पुलों और बाकी 5.5 प्रतिशत का मार्ग कटिंग और तटबंधों से है। यह प्रोजेक्ट कोंकण रेलवे के पास है। इस पुल के बनने के बाद ट्रेन से कश्मीर घाटी जाने का मार्ग खुल जाएगा। नदी तल से इसकी उंचाई 359 मीटर (1,178 फीट) होगी। यह रेलवे लाइन एफिल टावर से 35 मीटर और कुतुब मीनार से 5 गुना ऊंचा होगा।
कटड़ा- बनिहाल रेल सेक्शन कुल 111 किमी लंबा है। इस प्रोजेक्ट की लागत 21,653 करोड़ है। इसमें 26 बडे़ और 11 छोटे पुल है। 37 पुलों की कुल लंबाई 7 किमी है। इसमें 35 टनल हैं जिसमें 27 मुख्य टनल हैं, जबकि 8 एस्केप टनल हैं। इसमें सबसे लंबा टनल टी-49 है जिसकी कुल लंबाई 12.75 किमी की हैं।
कटड़ा से धरम खंड तक 17 सुरंगें
कोंकण रेल के 56.66 किमी मार्ग में 17 टनल, 23 पुल, पांच रेलवे स्टेशन और एक हाल्ट है। 17 टनल में से वर्तमान में चार टनल का काम बचा है। इन टनल की कुल लंबाई 46.1 कि मी की है।
इस पुल को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 260 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा को भी झेल सकेगा। यह पुल बेइपैन नदी पर बने चीन के शुईबाई रेलवे पुल (275 मीटर) का रिकॉर्ड तोड़ देगा। इस पुल का निर्माण कार्य पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल 2002 में शुरू हुआ था। 2008 में इसे असुरक्षित बताते हुए इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था। साल 2010 में पुल का काम फिर से शुरू किया गया।