जम्मू कश्मीर

'कारगिल को वॉर जोन के चश्मे से न देखे दुनिया'

Shiv Kumar Mishra
27 Jan 2021 8:17 AM GMT
कारगिल को वॉर जोन के चश्मे से न देखे दुनिया
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लेह-लद्दाख और कारगिल में विंटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर टूरिज्म की गतिविधियों के जरिए देसी-विदेशी पर्यटकों का ध्यान खींचने की कोशिश तेज हुई है।

नवनीत मिश्रा

अनुच्छेद 370 पर 6 अगस्त 2019 को लोकसभा में जोरदार भाषण देकर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को अपना मुरीद बना लेने वाले लद्दाख के 34 वर्षीय युवा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल को मलाल है कि देश और दुनिया के लोग आज भी कारगिल को वॉर जोन के रूप में देखते हैं। कारगिल का नाम सुनते ही लोग सोचते हैं कि बड़ा खतरनाक युद्ध का मैदान है। 1999 की लड़ाई की छाया से आज तक कारगिल उबर नहीं सका है।

बातचीत में लद्दाख के युवा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जिस तरह से मोदी सरकार ने प्रयास तेज किए हैं, उससे दुनिया में पर्यटन के मानचित्र पर कारगिल का नाम होगा। यह वॉर नहीं पीस जोन है। लेह-लद्दाख और कारगिल में विंटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर टूरिज्म की गतिविधियों के जरिए देसी-विदेशी पर्यटकों का ध्यान खींचने की कोशिश तेज हुई है।

जामयांग ने कहा, "लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद यहां के LG से पहली मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी ने रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने का सुझाव दिया था। हम चाहते हैं कि लद्दाख में पर्यटन केवल लेह-कारगिल तक ही केंद्रित न रहे। बाहर से आने वाले लोग जंस्कार से लेकर द्रास और बटालिक सेक्टर तक जाएं। यह तभी संभव होगा, जब ग्रामीण इलाकों को टूरिज्म सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। रूरल टूरिज्म से ग्रामीण आजीविका बढ़ेगी। टूरिज्म डिपार्टमेंट को गांवों में ज्यादा से ज्यादा होम स्टे की सुविधाएं बढ़ानी होंगी। गांव के लोगों को पर्यटकों को हैंडल करने की ट्रेनिंग देनी होगी।"

लद्दाख के सांसद ने बताया कि कारगिल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सबसे जरूरी है एयर कनेक्टिविटी। कामर्शियल उड़ानों के लिए कारगिल एयरपोर्ट के विस्तार से लेकर छोटे विमानों के संचालन का मुद्दा संसद में भी जामयांग उठा चुके हैं। उन्होंने कहा, "यहां आगे पहाड़ है, पीछे खाई है। इससे एयर कनेक्टिविटी में टेक्निकल बाधा होती है। लेकिन एटीआर जैसे छोटे एयरक्राफ्ट का संचालन हो सकता है। हमने सरकार से इसकी मांग भी की है। स्पाइसजेट ने रुचि भी दिखाई है, लेकिन ट्रैफिक कम होने के कारण बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। ऐसे में पर्यटन मंत्रालय से हमने अनुरोध किया है कि वह एटीआर चलाने के लिए वह फंडिंग करे। एयर कनेक्टिविटी से न केवल टूरिस्ट बल्कि कारगिल के सिविलियन लोग पूरी दुनिया से आसानी से जुड़ सकेंगे।

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